तमिलनाडु सरकार अब स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अस्वास्थ्यकर खानपान की आदतों से बचाने के लिए एक अनूठी पहल करने जा रही है। राज्य के कोयंबटूर जिले के सभी शैक्षणिक संस्थानों में जल्द ही ‘तेल, चीनी और नमक’ (Oil, Sugar, Salt) बोर्ड लगाए जाएंगे, ताकि छात्रों में स्वस्थ भोजन के प्रति जागरूकता पैदा की जा सके।
तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा विभाग की यह पहल खास तौर पर छात्रों को उच्च वसा (High Fat), उच्च चीनी (High Sugar) और उच्च नमक (High Salt) से युक्त आहार के दुष्परिणामों के प्रति सचेत करने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है। इसके जरिए बचपन से ही मोटापा और गैर-संचारी रोगों (NCDs) को रोकने की कोशिश की जाएगी। इस अभियान के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) और आईसीएमआर-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (ICMR-NIN) ने मिलकर विशेष सूचनात्मक बोर्ड्स और डिजिटल डिस्प्ले तैयार किए हैं।
बोर्ड्स पर चित्र, कार्टून और विजुअल्स के माध्यम से बच्चों को यह बताया जाएगा कि चीनी, नमक और तेल का अनुशंसित दैनिक सेवन (Recommended Daily Intake) क्या होना चाहिए और इसके अधिक सेवन से मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़ और हृदय रोगों का खतरा कैसे बढ़ता है। अधिकारियों का मानना है कि यह विज़ुअल प्रेजेंटेशन छात्रों के लिए अधिक प्रभावशाली और समझने में आसान होगा।
कोयंबटूर के जिला कलेक्टर पवनकुमार जी. गिरियप्पनवर ने जिले के सभी स्कूलों में इस अभियान को तुरंत प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं। डॉ. टी. अनुराधा, जो कोयंबटूर खाद्य सुरक्षा विभाग की नामित अधिकारी हैं, ने बताया, “उच्च वसा, चीनी और नमक (HFSS) वाले खाद्य पदार्थ, बच्चों में मोटापा और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के मुख्य कारण बन रहे हैं। यह पहल बच्चों को सही विकल्प चुनने में मदद करेगी।”
प्रत्येक तालुका के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों (FSO) को स्कूलों में बोर्ड्स लगाने और नियमित जागरूकता सत्र आयोजित करने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही, FSO यह सुनिश्चित करेंगे कि स्कूल कैंटीनें खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करें।इस अभियान को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और CBSE के निर्देशों के तहत शुरू किया गया है। FSSAI ने स्कूलों के लिए एक स्वस्थ भोजन मॉडल भी तैयार किया है, जिसमें अत्यधिक तैलीय, मीठे और नमकीन खाद्य पदार्थों की जगह पौष्टिक विकल्प सुझाए गए हैं।
इस अभियान को सोशल मीडिया पर ‘Stop Obesity, Eat Right India’ टैगलाइन के तहत प्रचारित किया जा रहा है, और इस सप्ताह से कोयंबटूर के स्कूलों में इसका क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा। यह पहल देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है, जो बचपन से ही पोषण जागरूकता और स्वास्थ्य शिक्षा को मजबूत करने में मदद करेगी।
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