शेलार ने कहा कि अदालत ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र सरकार, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की ठाकरे सरकार द्वारा लिया गया निलंबन निर्णय असंवैधानिक, अवैध और तर्कहीन था। यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस तरह फटकार लगाई है। यह एक ऐतिहासिक फैसला और ऐसा फैसला है जो लोकतंत्र को कमजोर करेगा। महाराष्ट्र सरकार को अपनी गलती सुधारने का मौका दिया गया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विधायिका को इस संबंध में उचित फैसला लेने का निर्देश दिया था। लेकिन ज्ञानी ही शब्दों के अर्थ को समझते हैं। ठाकरे सरकार में अहंकार के कारण बुद्धि चली गई है। इस ऐतिहासिक फैसले से ठाकरे सरकार आहत हुई है, इसे रोका जा सकता था।
इससे पहले भी कोर्ट ने कहा था सुना था कि आपने जो निलंबन किया है वह विधायकों के निष्कासन से भी बदतर है। इससे भी गंभीर बात यह है कि आप जो कुछ भी तय करते हैं वह लोकतंत्र के लिए खतरा है। आज, अदालत ने फैसला सुनाया कि विधानसभा अध्यक्ष का प्रस्ताव अवैध, असंवैधानिक और तर्कहीन था। अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि निलंबन को उस सत्र से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है जिसमें इसे निलंबित किया गया था। सत्र की समाप्ति के तुरंत बाद कानूनी अधिकार,लाभ 12 विधायकों को देना होगा।
शेलार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अब ठाकरे सरकार के मंत्री कुछ भी बोल रहे हैं। क्योंकि अब उन्हें मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले का स्वागत
भाजपा सांसद मनोज कोटक ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कोर्ट से फटकार लग रही है। महाविकास आघाडी सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिये। लोकतांत्रिक पद्धति में मूल्यों को किस तरह जीवंत रखना है उम्मीद है सरकार इससे कुछ सीख लेगी।
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