सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं!

याचिकाकर्ता भाजपा नेता विधायक आशीष शेलार की प्रतिक्रिया

सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं!

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सुप्रीम कोर्ट की बदौलत हमें न्याय मिला। इस निर्णय को एक वाक्य में कहें तो, “सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं।” यह बात सुप्रीम कोर्ट द्वारा 12 भाजपा विधायकों का निलंबन रद्द किए जाने पर निलंबित विधायकों में शामिल आशीष शेलार ने कही। सर्वोच्च न्यायालय के तीन जजों की बेंच ने महाविकास अघाड़ी सरकार के तानाशाही फैसले को खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान 5 जुलाई 2021 को बीजेपी के 12 विधायकों को निलंबित किया गया था। निलंबित विधायकों ने अपने निलंबन के फैसले कल सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को रद्द कर दिया है।

शेलार ने कहा कि अदालत ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र सरकार, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की ठाकरे सरकार द्वारा लिया गया निलंबन निर्णय असंवैधानिक, अवैध और तर्कहीन था।  यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस तरह फटकार लगाई है। यह एक ऐतिहासिक फैसला और ऐसा फैसला है जो लोकतंत्र को कमजोर करेगा।  महाराष्ट्र सरकार को अपनी गलती सुधारने का मौका दिया गया था।  सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विधायिका को इस संबंध में उचित फैसला लेने का निर्देश दिया था। लेकिन ज्ञानी ही शब्दों के अर्थ को समझते हैं। ठाकरे सरकार में अहंकार के कारण बुद्धि चली गई है। इस ऐतिहासिक फैसले से ठाकरे सरकार आहत हुई है, इसे रोका जा सकता था।

भाजपा विधायक ने कहा कि यदि सत्र के दौरान निलंबन रद्द करने के हमारे आवेदन पर विचार किया जाता, तो महाराष्ट्र के बारे में इस अवास्तविक चर्चा को ठाकरे सरकार रोक सकती थी। लेकिन ठाकरे सरकार अहंकार के उच्चतम स्तर पर चली गई है। हम किसी भी प्रणाली को स्वीकार नहीं करते हैं, हमारे पास जांच की व्यवस्था है, देश या राज्य या संवैधानिक प्रक्रिया में हमारी कोई परंपरा नहीं है, हम इनमें से किसी भी प्रक्रिया को स्वीकार नहीं करते हैं।

इससे पहले भी कोर्ट ने कहा था सुना था कि आपने जो निलंबन किया है वह विधायकों के निष्कासन से भी बदतर है।  इससे भी गंभीर बात यह है कि आप जो कुछ भी तय करते हैं वह लोकतंत्र के लिए खतरा है। आज, अदालत ने फैसला सुनाया कि विधानसभा अध्यक्ष का प्रस्ताव अवैध, असंवैधानिक और तर्कहीन था। अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि निलंबन को उस सत्र से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है जिसमें इसे निलंबित किया गया था। सत्र की समाप्ति के तुरंत बाद कानूनी अधिकार,लाभ 12 विधायकों को देना होगा।

कुछ भी न बोले मंत्री
शेलार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अब ठाकरे सरकार के मंत्री कुछ भी बोल रहे हैं। क्योंकि अब उन्हें मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले का स्वागत

भाजपा सांसद मनोज कोटक ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कोर्ट से फटकार लग रही है। महाविकास आघाडी  सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिये। लोकतांत्रिक पद्धति में मूल्यों को किस तरह जीवंत रखना है उम्मीद है सरकार इससे कुछ सीख लेगी।
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