महाराष्ट्र के राज्यपाल की सक्रियता की चर्चा होती रहती है। राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच की अदावत जगजाहिर है। इस बीच जानकारी सामने आई है की राजभवन की मांग पर हर साल भारी मात्रा में धनराशि बांट रही है। और राजभवन के खर्च में 18 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। महाराष्ट्र सरकार ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि पिछले दो वर्षों में 60 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है। साल 2019 की तुलना में पिछले 2 साल में राजभवन के खर्च में 18 करोड़ का इजाफा हुआ है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से राजभवन कार्यालय को सरकार द्वारा दिए गए अनुदान की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने अनिल गलगली को बजट अनुमान में शामिल विगत 5 वर्षों की जानकारी उपलब्ध करायी है. वर्ष 2017-18 में 13,97,23,000 रुपये की राशि प्रावधान किया गया. राजभवन कार्यालय ने 12,49,72,000 लाख रुपये खर्च किए। वर्ष 2018-19 में कुल प्रावधान 15,84,56,000 था जबकि 13,71,77,000 खर्च किया गया था. वर्ष 2019-20 में प्रावधान राशि 19,86,62,000 थी जबकि राशि 19,92,86,000 वितरित की गई जिसमें से 17,63,60,000 खर्च की गई. वर्ष 2020-21 में प्रावधान राशि 29,68,19,000 थी, लेकिन वास्तव में 29,50,92,000 का वितरण किया गया था, जिसमें से 25,92,36,000 खर्च किया गया था. जबकि प्रावधान राशि वर्ष 2021-22 में 31,23,66,000 थी. सरकार ने असल में 31,38,66,000 वितरित किए, जिसमें से 27,38,56,000 राज्यपाल कार्यालय द्वारा खर्च किए गए.
राज्य में महाविकास आघाड़ी की ठाकरे सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्यपाल कार्यालय पर अधिक उदारता दिखाई गई. पिछले 2 वर्षों में 60,89,58,000 का वितरण किया गया, जिसमें से 53,30,92,000 खर्च किए गए। इस दौरान 18 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि खर्च की गई है। अनिल गलगली ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को पत्र भेजकर मांग की हैं कि राजभवन कार्यालय बढ़े हुए खर्च की जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए और सभी खर्च का ऑडिट कर वेबसाइट पर अपलोड करे।
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