मुंबई। देश में अचानक रेमडिसिविर दवा को लेकर चर्चा काफी तेज हो गई है। इस दवा की कमी कई राज्यों में पाई गई है। इस कारण कोरोना मरीजों के इलाज में मुश्किलें आ रही है। कोरोना काल में रेमडेसिविर दावाओं को लेकर मारामारी हो रही है। भारत में इस दवा को लेकर स्थिति ये है कि जिसे रेमडेसिविर की ज़रूरत नहीं है वो भी इस दवा के लिए लाइन लगा रहा है। इस दवा के लिए लोग मेडिकल स्टोर का चक्कर काट रहे हैं लेकिन फिर भी लोगों को यह दवा नहीं मिल रही है।
ये एक एंटीवायरल दवा है, जिसे अमेरिका की दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने बनाया है। इसे आज से करीब एक दशक पहले हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस का इलाज करने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे कभी बाजार में उतारने की मंजूरी नहीं मिली। लेकिन कोरोना के इस दौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन को जीवन रक्षक दवा के रूप में देखा जा रहा है। यही कारण है कि रेमडीसिविर इंजेक्शन को लोग महंगी कीमत पर भी खरीदने को तैयार हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जाता है। हालांकि, कोरोना के इलाज में इसके प्रभावी ढ़ंग से काम करने को किसी ने मान्यता नहीं दी है। नवंबर में WHO ने भी ये कह दिया था कि रेमडेसिविर कोरोना का सटीक इलाज नहीं है।
कोरोना संकट के बाद इसकी बिक्री में काफी उछाल आया है। भारत में इस दवा का प्रोडक्शन सिप्ला, जाइडस कैडिला, हेटेरो, माइलैन, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज, डॉ रेड्डीज, सन फार्मा जैसी कई कंपनियां करती रही हैं। गिलियड साइंसेज कंपनी ने रेमडेसिविर को इबोला के ड्रग के रूप में विकसित किया था, लेकिन अब माना जाता है कि इससे और भी तरह के वायरस मर सकते हैं। इसमें नया नाम कोरोना वायरस का जुड़ गया है।
देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस दौरान कोरोना के गंभीर के लिए रेमडेसिविर की मांग ज्यादा बढ़ गई है। पिछले साल के अंत में इस कोरोना के नए मामलों में कमी आऩे के बाद रेमडेसिविर दवा का उत्पादन कम कर दिया गया था। पिछले 6 महीनों में भारत ने करीब 10 लाख से ज्यादा रेमडेसिविर इंजेक्शन अन्य देशों को निर्यात कर दिया था।
इस समय देश के अलग-अलग राज्य सरकारों की ओर से केंद्र से रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति की मांग की जा रही है। इसको लेकर देश में राजनीति भी चल रही है।इसके साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी और चोरी की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। जिसने इस समस्या को और जटिल बना दिया है।
कोरोना के बढ़ेते नए मामलों के बीच केंद्र सरकार ने महामारी के इलाज में प्रयोग होने वाली प्रमुख दवा रेमडेसिविर के दाम में ब़़डी छूट दी है। केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर की कीमतों में लगभग पचास फीसद दामों की कटौती की है। इसकी कीमत दो हजार रपए तक कम कर दी गई है। इस इंजेक्शन की कीमत 2,450 रपये है।