बिहार के भागलपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल सुल्तानगंज का नाम बदलकर ‘अजगैबीनाथ धाम’ करने की मांग अब जोर पकड़ चुकी है। यह मांग अब केवल एक धार्मिक आह्वान नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन का रूप ले चुकी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, संतों, नागरिकों और कारोबारियों का इस मुहिम को भरपूर समर्थन मिल रहा है।
इस मांग को लेकर सुल्तानगंज नगर परिषद ने बीते वर्ष 19 जून को आयोजित सामान्य बोर्ड बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर मुख्यमंत्री और राज्य सरकार को भेजा था। लोगों का कहना है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही अजगैबीनाथ धाम के रूप में जाना जाता रहा है, जिसे मुगल शासन काल में ‘सुल्तानगंज’ नाम दे दिया गया था।
इस स्थल से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यही वह पावन भूमि है जहां से गंगा के पुनर्जन्म की कथा शुरू होती है। यहीं जाह्नवी मुनि ने अपनी तपस्या भंग होने पर गंगा को अपने कमंडल में समेटा था, और भगीरथ की प्रार्थना पर उन्हें मुक्त किया। उसी स्थान पर स्थित है अजगैबीनाथ महादेव मंदिर, जहां आज भी धनुष-बाण लिए शिव की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। उत्तरवाहिनी गंगा के किनारे बसे इस स्थान पर श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु कांवर लेकर पवित्र डुबकी लगाते हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी इस नाम परिवर्तन का समर्थन करते हुए कहा, “यह नगरी प्राचीन काल में ‘अजगैबीनाथ धाम’ के नाम से ही जानी जाती थी। मुगलों ने इसका नाम बदला, अब इसे फिर से मूल स्वरूप में लाना चाहिए।”
अजगैबीनाथ मंदिर के महंत प्रेमानंद गिरी ने बताया कि पिछले 4-5 वर्षों से इस नाम परिवर्तन के लिए प्रयास हो रहे हैं और अब यह मांग व्यापक रूप ले चुकी है। उन्होंने कहा कि, “नगर परिषद का प्रस्ताव भेजा जा चुका है और प्रक्रिया का आधा हिस्सा पूरा हो गया है। लोग अब खुद ही दुकानों और बैनरों पर ‘अजगैबीनाथ धाम’ लिख रहे हैं।” वहीं, स्थानीय कांवर विक्रेता विनोद दुबे ने कहा, “जब देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, तो ऐसा पवित्र स्थान ‘सुल्तानगंज’ नहीं बल्कि ‘अजगैबीनाथ धाम’ कहलाना चाहिए।”
स्थानीय लोग और धार्मिक संगठनों का मानना है कि मुगल काल में देश के अनेक धार्मिक स्थलों के नाम बदले गए, और अब समय आ गया है कि उन्हें फिर से धार्मिक पहचान दी जाए। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों की तरह बिहार को भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने की पहल करनी चाहिए।
नाम परिवर्तन का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास लंबित है और यदि इसे मंजूरी मिलती है तो यह कदम न सिर्फ बिहार की धार्मिक विरासत को पुनर्स्थापित करेगा बल्कि श्रद्धालुओं की आस्थाओं का भी सम्मान होगा। ‘अजगैबीनाथ धाम’ के रूप में सुल्तानगंज की पुनर्पहचान, न सिर्फ एक नाम बदलने का मामला है, बल्कि यह आस्था, इतिहास और सांस्कृतिक चेतना की वापसी का प्रतीक बनता जा रहा है।
यह भी पढ़ें:
पाकिस्तानी सेना के काफिले पर हमला, 16 की मौत!
यूपी पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू, आज से ग्राम परिसीमन की प्रक्रिया शुरू!
उत्तराखंड में भाजपा अध्यक्ष बदलने की तैयारी, एक जुलाई को होगा ऐलान!
बिहार चुनाव: तेजस्वी बनाम आयोग!
