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Saturday, November 15, 2025
होमन्यूज़ अपडेटभारत की नई हाइपरसोनिक मिसाइल 'ध्वनि'; कितनी क्रांतिकारी, क्या कहती हैं रिपोर्टें?

भारत की नई हाइपरसोनिक मिसाइल ‘ध्वनि’; कितनी क्रांतिकारी, क्या कहती हैं रिपोर्टें?

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चीन और पाकिस्तान से एकसाथ निपटने के लिए भारत ने एक कारगर हथियार बना रहा है। भारत की रक्षा अनुसंधान व विकास संस्था (DRDO) के नए हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल प्रोजेक्ट ‘ध्वनि’ की खबरें हाल के दिनों में तेजी से आ रही हैं। कई खबरों और रक्षा वेब पोर्टलों के अनुसार यह हपरसॉनिक मिसाइल (HGV) मैक‑6 के आसपास की रफ्तार तक उड़ान भरने में सक्षम होगा, जो लगभग 7,400 किमी/घंटे की होगी। DRDO इसे 2025 के अंत तक परीक्षण के लिए तैयार करने की कवायद में है।

रक्षा रिपोर्ट्स में ‘ध्वनि’ की कुछ तकनीकी खूबियों का वर्णन मिलता है, यह एक ब्लेंडेड विंग‑बॉडी/ब्लेंडेड विंग‑ग्लाइडर डिज़ाइन पर बनाया जा रहा है, लंबाई मोटे तौर पर 9 मीटर और चौड़ाई लगभग 2.5 मीटर बताई जा रही है। इसके लिए अल्ट्रा‑हाई‑टेम्परेचर सिरेमिक कंपोजिट्स जैसी थर्मल‑प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी का प्रयोग होगा ताकि वायुमंडलीय पुनःप्रवेश के दौरान 2,000–3,000°C तापमान सहा जा सके, ऐसी प्रणाली हाइपरसोनिक हथियारों में सामान्य है।

ध्वनि को पारंपरिक क्रूज़ मिसाइलों से अलग इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि HGV‑आधारित प्रणाली ऊँचाई पर लॉन्च होकर ग्लाइड कर के लक्ष्य की ओर आती है और उड़ान के दौरान तेज़‑तर्रार मैन्यूवर कर सकती है। इसलिए इसे ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना कठिन माना जाता है। इसी कारण कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने लिखा है कि सफल परीक्षण के बाद यह दक्षिण एशिया के सुरक्षात्मक समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकती है। हालांकि, इस तरह के दावों के साथ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि परीक्षण और कार्यान्वयन के कई चरण शेष हैं।

कहा जा रहा है कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो ध्वनि को 2029–30 के आसपास वार्म‑रोलआउट/इंडक्शन के लिए तैयार किया जा सकता है; परन्तु विशेषज्ञ आम तौर पर यह भी कहते हैं कि हाइपरसोनिक प्रणालियों की विश्वसनीयता, लक्ष्य‑नियंत्रण और पता‑लगाने/रोकने के पक्ष में व्यापक परीक्षण और इंटीग्रेशन आवश्यक होता है। इस प्रकार, वर्तमान रिपोर्ट ध्वनी की क्षमता और उद्देश्यों का संकेत देती हैं, पर अंतिम मूल्यांकन केवल परीक्षणों और DRDO की आधिकारिक घोषणाओं के बाद ही संभव होगा।

ध्वनि भारतीय हाइपरसोनिक कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण कदम है और यदि परीक्षण सफल रहे तो यह उपलब्धि रणनीतिक क्षमता बढ़ा सकती है। फिर भी, फिलहाल उपलब्ध जानकारी में कई विवरण अनौपचारिक स्रोतों पर आधारित हैं; इसलिए आधिकारिक पुष्टि और विस्तृत तकनीकी रिपोर्ट आने तक इसके प्रदर्शन‑दावे पर सतर्कता बरतनी चाहिए।

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