मुंबई। एल्गार परिषद भीमा कोरेगांव मामले में आरोपियों के खिलाफ विभिन्न मामलों के तहत एक विशेष अदालत के समक्ष एनआईए ने 17 मसौदा आरोप दायर किये हैं।एनआईए के अनुसार यह हिंसा राज्य से सत्ता हथियाने के लिए षड्यंत्र रचे थे।
एनआईए के अधिकारियों ने कहा कि आरोपियों का कथित इरादा हिंसा को उकसाना और कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असंतोष फैलाना, साजिश करना, अव्यवस्था पैदा करना था ताकि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरा हो। इस मामले में कार्यकर्ता रोना विल्सन, नागपुर के वकील सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोमा सेन, महेश राउत, रिपब्लिकन पैंथर्स के सुधीर धवले, वकील कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, तेलुगु कवि पी वरवर राव, कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजाल्विस, दिवंगत पिता स्टेन स्वामी, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, प्रोफेसर हनी बाबू, सागर गोरखे, रमेश गायचोर, ज्योति जगताप और फरार आरोपी मिलिंद तेलतुंबडे शामिल हैं।
आरोपियों ने भारत और महाराष्ट्र की सरकारों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का प्रयास किया।आरोपियों का इरादा भारत के किसी वर्ग और महाराष्ट्र राज्य में लोगों पर विस्फोटक पदार्थों जैसे तार, नाइट्रेट पाउडर का उपयोग करना था। इसके अलावा चीनी QLZ 87 स्वचालित ग्रेनेड लॉन्चर और रूसी GM-94 ग्रेनेड लॉन्चर और M-4 को 400,000 राउंड के से किसी भी व्यक्ति या व्यक्ति की मृत्यु या चोट या नुकसान का कारण या संभावित था साथ ही संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना या नष्ट करने का प्रयास था।आरोपियों ने नेपाल और मणिपुर से 4 लाख राउंड और अन्य हथियारों और गोला-बारूद के साथ अन्य घातक हथियार मंगाए थे।
आरोपियों द्वारा भड़काऊ बजाए गए, नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गईं और भड़काऊ किताबें भी बांटी गईं। आरोपियों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों को इन हिंसात्मक गतिविधियों के लिए भर्ती किया और आनंद तेलतुम्बडे के खिलाफ एक विशिष्ट आरोप था कि उन्होंने जानबूझकर अपराधियों की स्क्रीनिंग के इरादे से सबूत गायब कर दिए। एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एक सभा में कथित भड़काउ भाषण देने से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि उक्त भाषण के बाद पश्चिमी महाराष्ट्र के बाहरी इलाकों में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की थी।