अदालत की बार-बार की चेतावनी के बावजूद राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक अनर्गल बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। गुरुवार को हाईकोर्ट ने मलिक के रुख पर नाराजगी जताते हुए उनसे जवाब मांगा है। एनसीबी के पूर्व निदेशक समीर वानखेडे के पिता ज्ञानदेव वानखेडे द्वारा दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि कोर्ट में आश्वासन के बावजूद मलिक वानखेडे परिवार पर टिका टिप्पणी कर रहे हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ऐसा नहीं चलेगा।
बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के अल्पसंख्य कल्याण मंत्री नवाब मलिक से जानना चाहा है कि आखिर वे क्यों नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व अधिकारी समीर वानखेडे के पिता व उनके परिवार के खिलाफ मानहानिपूर्ण टिप्पणी न करने के संबंध में दिए गए आश्वासन का पालन न करते हुए कोर्ट से मिली छूट का नाजायज फायदा क्यों उठा रहे हैं। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कि मलिक यह जारी नहीं रख सकते। यदि मंत्री कोर्ट की ओर से दी गई छूट का दुरुपयोग करेंगे तो वह उनसे वापस ले ली जाएगी। कोर्ट ने इस मामले में मंत्री मलिक को हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट में एनसीबी अधिकारी वानखेडे के पिता ज्ञानदेव की ओर से पिछले माह दायर की गई न्यायालय की अवमानना याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में ज्ञानदेव ने मांग की है कि मंत्री मलिक को मेरे व मेरे परिवार के बारे में मानहानिपूर्ण टिप्पणी करने से रोका जाए। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान मंत्री मलिक ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वे मामले में कोर्ट के अगले आदेश तक ज्ञानदेव व उनके परिवार के लोगों के खिलाफ कोई मानहानिपूर्ण बयान नहीं देगे। लेकिन इसके अंतगर्त उन्होंने सरकारी अधिकारियों के कामकाज पर टिप्पणी की छूट मांगी थी। जिसमें एनसीबी के पूर्व अधिकारी समीर वानखेडे का भी समावेश था।
ज्ञानदेव वानखेडे की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र श्राफ ने कहा कि मंत्री मलिक ने कोर्ट को दिए गए आश्वासन का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा मंत्री मलिक ने मेरे मुवक्किल के बेटे समीर वानखेडे के जाति प्रमाणपत्र को लेकर हाल ही में टिप्पणी की है। जिसका सरकारी अधिकारी के कामकाज से कोई मतलब नहीं है। यह सबकुछ अतीत की बाते हैं। उन्होंने कहा कि मलिक ने अपने बयान में कहा है कि अवैध लाइसेंस, फर्जी जाति प्रमाणपत्र और आर्यन खान ड्रग्स मामला। उनके इस बयान के आधार पर मलिक के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का मामला बनता है।
पीठ ने पूछा, ‘‘अगर आप इसी मंशा से रियायत लेते हैं तो हम रियायत वापस ले लेंगे। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आप (मलिक) उनको (वानखेड़े) बदनाम करना चाहते हैं। आपका इरादा क्या है?’’ मलिक के वकील रमेश दुबे ने कहा कि मंत्री यह दिखाने के लिए अपना जवाब दाखिल करना चाहते हैं कि ये बयान रियायत (केवल एक लोक अधिकारी के आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन के बारे में टिप्पणी करने पर) के दायरे में आते हैं। उच्च न्यायालय ने मलिक को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को निर्धारित की।
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