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Friday, September 20, 2024
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शरद पवार पढ़ेंगे वीर सावरकर का चरित्र

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आचार्य बालाराव सावरकर द्वारा विनायक दामोदर सावरकर पर चार खंडों में लिखी गई पुस्तक  ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ को हाल ही में एनसीपी प्रमुख शरद पवार को मुंबई के प्रसिद्ध उद्योगपति प्रशांत कारुलकर ने उपहार स्वरूप भेंट की। उद्योगपति प्रशांत कारुलकर ने यह अमूल्य तोहफा शरद पवार को नई दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात कर भेंट की।

आचार्य बालाराव सावरकर ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर की इस जीवनी को चार खंडों में प्रकाशित किया है। यह चार खंड हैं, रत्नागिरी पर्व (1924 से 1937), हिंदू महासभा पर्व (1937 से 1947), अखंड हिंदुस्थान लढा पर्व (1941 से 1947), सांगता पर्व (1947 से 1966)।

आचार्य बालाराव सावरकर 15 साल तक स्वातंत्र्यवीर सावरकर के निजी सचिव रहे हैं।  स्वातंत्र्यवीर सावरकर को आचार्य बालाराव सावरकर पर बहुत विश्वास था। इसलिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने अपने प्रकाशित और अप्रकाशित साहित्य का स्वामित्व बालाराव सावरकर को दे   दिया। वीर सावरकर की इस कृति को समग्र सावरकर के रूप में प्रकाशित करने की चुनौती बालाराव सावरकर ने स्वीकार की। यह मूल खंड 48 साल पहले प्रकाशित हुआ था। अब उन्हें फिर से प्रकाशित किया गया है।

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार आने के बाद कांग्रेस ने बार-बार वीर सावरकर को बदनाम किया है। इतना ही नहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कई बार वीर सावरकर के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए आलोचना की है। शरद पवार ने राहुल गांधी या अन्य कांग्रेस नेताओं के इन बयानों का कभी विरोध नहीं किया। जब मुंबई के दादर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक का उद्घाटन किया गया तो शरद पवार को वीर सावरकर के बलिदान और देशभक्ति पर गर्व था। वह भाषण आज भी सोशल मीडिया पर मौजूद है।
हाल ही में नासिक में हुए साहित्य सम्मेलन में स्वातंत्र्यवीर सावरकर को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। भले ही नासिक वीर सावरकर की जन्मभूमि थी, लेकिन सभा स्थल में उनका नाम कहीं नहीं था। उसी साहित्यिक सम्मेलन के समापन भाषण में शरद पवार ने सावरकर की देशभक्ति की प्रशंसा करते हुए कहा कि सावरकर एक वैज्ञानिक थे, उनके बारे में बहस करना उचित नहीं है, उनका साहित्य अमर है, उनके बलिदान के बारे में कोई चर्चा नहीं हो सकती। इसलिए उम्मीद है कि शरद पवार बालाराव सावरकर द्वारा लिखित स्वातंत्र्यवीर सावरकर की इस लंबी जीवनी को फिर से पढ़ेंगे और वीर सावरकर को बदनाम करने वालों को उनके जीवन से कुछ सीखने की नसीहत देंगे।
   
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