बजट सत्र: मलिक के इस्तीफे को लेकर सत्तापक्ष-विपक्ष में संघर्ष अटल

विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया है कि मंत्री नवाब मलिक के इस्तीफे के बगैर हम सदन नहीं चलने देंगे|

बजट सत्र: मलिक के इस्तीफे को लेकर सत्तापक्ष-विपक्ष में संघर्ष अटल

गुरुवार से शुरु हो रहे महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संघर्ष अटल है। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया है कि मंत्री नवाब मलिक के इस्तीफे के बगैर हम सदन नहीं चलने देंगे, जबकि प्रदेश राकांपा अध्यक्ष व मंत्री जयंत पाटील ने कहा है ​​कि किसी भी हालत में मलिक इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसे में 3 मार्च से शुरु हो रहे बजट सत्र के दौरान हंगामा तय है।

राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भगौड़े माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम से संबंध रखने के मामले में गिरफ्तार किया है। वे पिछले कई दिनों से ईडी की हिरासत में हैं पर आघाडी सरकार उऩका इस्तीफा नहीं ले रही है।

विधानमंडल अधिवेशन की पूर्व संध्या पर फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह सरकार दाऊद के सामने नतमस्तक है। दाऊद को समर्पित सरकार मलिक का इस्तीफा नहीं ले रही है जबकि शिवसेना नेता व राज्य के वनमंत्री रहे संजय राठोड का तुरंत इस्तीफा ले लिया गया था। यह सरकार तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है।

वही एक धर्म विशेष के लोगों को खुश करने के लिए मलिक का इस्तीफा नहीं लिया जा रहा है। पर विपक्ष यह बात बर्दास्त नहीं करेगा। मलिक के इस्तीफे को लेकर हम सदन में संघर्ष करेंगे। गुरुवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अभिभाषण के बाद सदन की कार्यवाही शुरु होगी। पर इस बात की पूरी संभावना है कि विपक्ष सदन चलने नहीं देगा।

फिर गायब रहे सीएम: परंपरा के मुताबिक अधिवेशन शुरु होने के पूर्व संध्या पर सत्तापक्ष की चाय पार्टी के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पत्रकारों को संबोधित करते हैं,लेकिन मुख्यमंत्री ठाकरे इस बार भी प्रेस से  बातचीत के मौके पर गायब रहे। दरअसल में सरकार चला रहे उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने यह मोर्चा संभाला। और पार्टी पदाधिकारी मोहित काम्बोज जैसे भाजपा नेताओं को लगातार निशाना बना रहे है।

फडणवीस ने काम्बोज के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की, जिन्हें शिवसेना नेताओं ने निशाना बनाया है और एमवीए को पिछले भाजपा के नेतृत्व वाले शासन के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों में कार्रवाई करने की चुनौती दी।

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