खांसी की दवा से मौत का सिलसिला जारी; अब तक 20 से अधिक बच्चों की गई जान!

राज्यों ने बैन लगाया — जिम्मेदारी कौन लेगा?

खांसी की दवा से मौत का सिलसिला जारी; अब तक 20 से अधिक बच्चों की गई जान!

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मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीली खांसी की दवा ‘कोल्ड्रिफ (Coldrif)’ पीने से बच्चों की मौत का आंकड़ा 20 के पार पहुंच गया है। बावजूद इसके, अब तक सिर्फ एक डॉक्टर की गिरफ्तारी हुई है, जबकि दवा कंपनी और नियामक अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जांच में सामने आया है कि इस दवा में डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक ज़हरीला रसायन पाया गया, जो औद्योगिक उपयोग में आने वाला रासायनिक तत्व है और किडनी फेलियर का कारण बनता है।

मध्य प्रदेश पुलिस ने सरकारी अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीन सोनी को गिरफ्तार किया है, लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए सवाल उठाया कि जब दवा कंपनी को क्लीन चिट दी गई, तो सिर्फ डॉक्टर पर कार्रवाई क्यों? आईएमए के अध्यक्ष दिलिप भनुशाल ने कहा कि यह “व्यवस्था की नाकामी” है और दोष दवा निर्माता व नियामक तंत्र का है, न कि चिकित्सकों का।

इस बीच, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा, जबलपुर के शरद कुमार जैन और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के डिप्टी डायरेक्टर शोभित कोश्टा को निलंबित कर दिया है। वहीं, ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य का तबादला कर दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बच्चों द्वारा सेवन की गई 19 दवाओं के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 10 रिपोर्ट आ चुकी हैं, जिनमें से नौ नमूने गुणवत्ता मानकों पर खरे पाए गए, जबकि एक में गंभीर कमी पाई गई। मंत्रालय ने छह राज्यों में दवा निर्माण इकाइयों की रिस्क-बेस्ड इंस्पेक्शन शुरू करने का आदेश दिया है ताकि गुणवत्ता संबंधी चूकों की पहचान की जा सके।

मामले के गंभीर होते ही कई राज्यों ने कोल्ड्रिफ सिरप पर बैन लगा दिया है। पंजाब, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड ने दवा की बिक्री व वितरण पर रोक लगा दी है। राजस्थान सरकार ने घर-घर सर्वे, सुरक्षित दवा उपयोग पर जनजागरण अभियान, तकनीकी जांच समिति और चेतावनी लेबलिंग जैसी कई पहलें शुरू की हैं।

उत्तर प्रदेश ड्रग्स विभाग ने भी जांच शुरू कर दी है। तमिलनाडु की M/s Sresan Pharmaceutical कंपनी द्वारा निर्मित बैच में संदूषण पाए जाने के बाद यूपी अधिकारियों ने उस बैच की दवाएं जब्त कर ली हैं। महाराष्ट्र FDA ने भी बैच नंबर SR-13 की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

फिलहाल, बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है और पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहे हैं। विपक्ष ने सरकार पर लापरवाही और ढिलाई के आरोप लगाए हैं। सचिन पायलट ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा, “सरकारी जांच से सच्चाई सामने नहीं आएगी।” वहीं, कांग्रेस ने मुख्यमंत्री मोहन यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार ने बच्चों की जान लेने वाली इस त्रासदी को संभालने में पूरी तरह विफलता दिखाई है।

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