जब आप ‘मोंथा’ नाम सुनते हैं, तो शायद यह आपको किसी नाज़ुक और सुगंधित फूल की याद दिलाए और सही भी है। थाई भाषा में मोंथा (Montha) का अर्थ होता है एक सुंदर या सुगंधित फूल। लेकिन इस बार यह फूल किसी बाग में नहीं खिला, बल्कि समुद्र में पैदा हुआ तूफान बन गया है, जो तेज़ हवाओं, भारी बारिश और ऊंची लहरों के साथ तटीय इलाकों के लिए खतरा लेकर आया है।
चक्रवातों का नामकरण किसी काव्यात्मक सोच से नहीं, बल्कि व्यवहारिक कारणों से किया जाता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि अलग-अलग देशों में सक्रिय तूफानों की पहचान, ट्रैकिंग और चेतावनी जारी करने की प्रक्रिया आसान हो सके। उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र (Bay of Bengal और Arabian Sea) में आने वाले चक्रवातों का नामकरण भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) करता है, जो इस क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय विशेषीकृत मौसम केंद्र (RSMC) के रूप में कार्य करता है।
इस प्रणाली में 13 सदस्य देश शामिल हैं, जिनमें भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश, म्यांमार, ईरान और श्रीलंका जैसे देश आते हैं। हर देश पहले से ही संभावित नामों की एक सूची देता है, और जैसे ही किसी तूफान की हवा की रफ्तार 62 किमी प्रति घंटा (34 नॉट) तक पहुंचती है, उसे सूची के अगले क्रमिक नाम से पहचाना जाता है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि जब एक ही समय में कई तूफान सक्रिय हों, तो हर तूफान की पहचान स्पष्ट रहे और भ्रम की स्थिति न बने।
अक्टूबर 2025 के आखिरी सप्ताह में दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में एक लो-प्रेशर सिस्टम (निम्न दबाव क्षेत्र) बनने लगा। समुद्र की सतह पर बढ़ा हुआ तापमान और अनुकूल हवाओं की दिशा ने इसे जल्दी ही एक साइक्लोनिक स्टॉर्म में बदल दिया।
आईएमडी (IMD) के पूर्वानुमान के अनुसार, साइक्लोन मोंथा के एक गंभीर चक्रवाती तूफान (Severe Cyclonic Storm) में बदलने की संभावना जताई गई है। इसके उत्तर-पश्चिम दिशा में आंध्र प्रदेश तट की ओर बढ़ने की आशंका है, और यह 28 अक्टूबर के आसपास तटीय इलाकों को प्रभावित कर सकता है।
प्रशासन ने भारी बारिश, तेज़ हवाओं, तटीय बाढ़ और खतरनाक समुद्री परिस्थितियों की चेतावनी जारी की है। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है और आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट पर रखी गई हैं ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किए जा सकें।
हालांकि “मोंथा” नाम सुनने में शांत और सुंदर लगता है, लेकिन इसका असली उद्देश्य जनसंचार और आपदा प्रबंधन को आसान बनाना है। नाम किसी कोड नंबर से ज़्यादा जल्दी याद रहता है, जिससे मौसम विभाग, मीडिया और आम जनता के बीच संचार प्रभावी बनता है।
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