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“पाकिस्तानी सीरियल हमारे घरों में ज़हर घोल रहे हैं, तलाक़ के मामलों के पीछे यही वजह”

देवबंद के मौलाना का बयान

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सहारनपुर में एक कार्यक्रम के दौरान देवबंद के धर्मगुरु मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने पाकिस्तानी टीवी धारावाहिकों पर तीखा हमला बोला है। मौलाना ने कहा कि ये सीरियल मुस्लिम परिवारों में कलह, नफ़रत और तलाक़ के मामलों में बढ़ोतरी के लिए ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी टीवी सीरियल्स ने हमारे घरों में झगड़े और नफरत भर दी है। ये ड्रामे पारिवारिक एकता को तोड़ रहे हैं और तलाक़ के बढ़ते मामलों के पीछे इनका बड़ा हाथ है।”

मौलाना गोरा के अनुसार, पाकिस्तानी धारावाहिकों में लगातार सास-बहू के झगड़े, पुरुषों को अत्याचारी और महिलाओं को बेबस पीड़िता के रूप में दिखाया जाता है, जिससे समाज में रिश्तों को लेकर नकारात्मक सोच पनप रही है। उन्होंने कहा, “सास-बहू की लड़ाई, मर्दों को ظालिम और औरतों को बेबस दिखाना इन कहानियों ने हमारे असली रिश्तों को बिगाड़ दिया है।”

मौलाना ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसे टीवी कार्यक्रमों ने मुस्लिम घरों के माहौल में ‘ज़हर घोल’ दिया है। उन्होंने कहा, “टीवी ने हमारे घरों को ज़हरीला बना दिया है। अब हमें अपनी बेटियों और बीवियों को इन ड्रामो से दूर रखकर इस्लामी तालीम और तहज़ीब अपनानी चाहिए।”

उन्होंने चिंता जताई कि भारतीय मुसलमानों पर पाकिस्तानी मीडिया का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।मौलाना ने कहा, “हमारा ‘मुआशरा’ (समाज) दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है। घरेलू हिंसा और तलाक़ के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आज कई औरतें पाकिस्तानी सीरियल्स देखने में मशगूल रहती हैं। इन ड्रामों की कहानियाँ घर-घर के झगड़ों और मर्दों को ज़ालिम दिखाने पर केंद्रित हैं।”

मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे अपने घरों को मीडिया के प्रभाव से बचाएँ और इस्लामी शिक्षा को अपनाएँ। उन्होंने कहा, “अगर हम चाहते हैं कि हमारे घरों में मोहब्बत, रहमत और सुकून लौट आए, तो हमें क़ुरान की तालीम और इस्लामी तहज़ीब को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाना होगा।”

उन्होंने अंत में कहा कि मुसलमानों को अपने पारिवारिक जीवन में शरीअत के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, तभी समाज में शांति और सौहार्द कायम रह सकता है। इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है, जहाँ कई लोग मौलाना की राय से सहमत दिखे, तो कुछ ने इसे सांस्कृतिक अतिशयोक्ति करार दिया। लेकिन एक बात साफ़ है। मौलाना गोरा का संदेश समाज के उस तबके को संबोधित करता है, जो मीडिया सामग्री को लेकर बढ़ती चिंता महसूस कर रहा है।

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