सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू न किए जाने पर नाराजगी जताई और केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि सभी हितधारकों के साथ मिलकर एक ठोस नीति बनाई जाए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान बिहार के खनन प्रतिबंध का उदाहरण देते हुए चेतावनी दी कि बिना संतुलित दृष्टिकोण के प्रतिबंध अवैध गतिविधियों को जन्म दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि पटाखा निर्माताओं, राज्य सरकारों और पर्यावरण विशेषज्ञों के साथ मिलकर प्रतिबंध लागू करने के लिए स्पष्ट और व्यावहारिक नीति तैयार की जाए। बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों (पर्यावरण-अनुकूल पटाखों) के निर्माण को सशर्त अनुमति दी है, लेकिन शर्त रखी कि ये पटाखे दिल्ली-एनसीआर में कहीं भी बेचे या इस्तेमाल नहीं किए जाएंगे। ग्रीन पटाखों की बिक्री को लेकर अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
इससे पहले, 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर कड़ी टिप्पणी की थी। सीजेआई बीआर गवई ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर के लोगों को स्वच्छ हवा का अधिकार है, तो दूसरे शहरों के निवासियों को क्यों नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदूषण नियंत्रण की नीतियां केवल राजधानी तक सीमित नहीं रह सकतीं, बल्कि पूरे देश में लागू होनी चाहिए।
CJI ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि पिछले साल सर्दियों में उन्होंने अमृतसर का दौरा किया, जहां प्रदूषण की स्थिति दिल्ली से भी बदतर थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है तो इसे पूरे देश में लागू करना आवश्यक है।
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