मुंबई। T-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या के मामले में गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोषी अब्दुल रऊफ की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने मुंबई सेशन कोर्ट की ओर से रऊफ को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि अब्दुल रऊफ किसी तरह की उदारता का हकदार नहीं है क्योंकि वह पहले भी पैरोल के बहाने बांग्लादेश भाग गया था। अदालत ने इस मामले में रमेश तौरानी को बरी कर दिया है। उसके बरी होने पर महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि तौरानी को बरी करने के खिलाफ वे फिर से अदालत में अपील करेंगे। हत्या के बाद से अब्दुल रऊफ उर्फ दाउद मर्चेंट फरार था और 10 नवंबर 2016 को फेक पासपोर्ट मामले में उसे बांग्लादेश से पकड़ कर प्रत्यर्पित कर मुंबई लाया गया था। गुलशन कुमार की हत्या के मामले में अब्दुल को 2002 में उम्रकैद की सजा हुई थी और वह औरंगाबाद जेल में सजा काट रहा था।
2009 में वह औरंगाबाद जेल से अपने परिवार से मिलने के लिए पैरोल पर बाहर आया था। लेकिन पैरोल समाप्त होने से पहले ही बांग्लादेश भाग गया था। 12 अगस्त 1997 को अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मारकर गुलशन की हत्या कर दी गई थी। जांच में सामने आया था कि अबु सलेम ने सिंगर गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपये देने के लिए कहा था। गुलशन कुमार ने मना करते हुए कहा था कि इतने रुपए देकर वै वैष्णो देवी में भंडारा कराएंगे। इस बात से नाराज सलेम ने शूटर राजा के जरिए गुलशन कुमार का मर्डर करवा दिया था। अबू सलेम ने गुलशन कुमार को मारने की जिम्मेदारी दाऊद मर्चेंट और विनोद जगताप नाम के दो शार्प शूटरों को दी थी। 9 जनवरी 2001 को विनोद जगताप ने कुबूल किया कि उसने ही गुलशन कुमार को गोली मारी थी। बाद में यह सामने आया कि सिंगर नदीम के इशारे पर ही गुलशन कुमार की हत्या की गई थी।
कहा जाता है कि गुलशन कुमार की कंपनी टी सीरीज ने नदीम-श्रवण की जोड़ी को म्यूजिक इंडस्ट्री में खड़ा किया था। हालांकि, बाद में नदीम की अनबन गुलशन कुमार से हो गई और उसे काम मिलना बंद हो गया। इंडस्ट्री में काम नहीं मिलने के कारण नदीम गुलशन कुमार से नाराज चल रहा था। कहा जाता है कि अबु सलेम ने नदीम के इशारे पर ही गुलशन कुमार पर अपने गुर्गों से गोलियां चलवाई थीं। वारदात के बाद से नदीम भारत से फरार हो गया था। अभी भी वह मुंबई पुलिस की पकड़ से बाहर है। गुलशन कुमार का जन्म 1956 में दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के देशबंधु कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। दिल्ली के दरियागंज इलाके में उनके पिता चंद्रभान की एक जूस की दुकान थी, जहां गुलशन उनके साथ काम करते थे। जूस की दुकान में काम करते-करते गुलशन ऊब गए थे। ऐसे में एक दिन उनके पिता ने एक दुकान और ली जिसमें सस्ती कैसेट्स और गाने रिकॉर्ड कर बेचे जाते थे। बस यहीं से गुलशन कुमार के करियर ने करवट बदली।