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Tuesday, December 30, 2025
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किश्तवाड़ में प्रकृती का कहर, अब तक 60 मौते !

बरामद शवों में से 21 की पहचान कर ली गई है।

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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में गुरुवार (14 अगस्त)को आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच हुए बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ और मलबे ने भारी तबाही मचाई। इस हादसे में सीआईएसएफ के दो जवानों समेत कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य के अब भी मलबे में दबे होने की आशंका है। घटना के समय मचैल माता यात्रा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गांव में मौजूद थे, जिससे स्थिति और भयावह हो गई।

राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। सेना के व्हाइट नाइट कोर के 300 सैनिक, पांच टुकड़ियों में बंटकर, एनडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर लापता लोगों की तलाश और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने में जुटे हैं। सेना के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि प्राथमिक लक्ष्य जीवित लोगों की जान बचाना, घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान करना और प्रभावित परिवारों तक राहत सामग्री पहुंचाना है। अब तक 160 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है, जबकि 38 घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर गहरी संवेदना जताते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से फोन पर बात की। उन्होंने स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।

अधिकारियों के अनुसार, अभी तक बरामद शवों में से 21 की पहचान कर ली गई है। मृतकों की पहचान में तेजी लाने के लिए प्रशासन ने एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाकर पीड़ितों की तस्वीरें प्रभावित परिवारों के साथ साझा कीं। कई परिवार अपने लापता प्रियजनों की खोज में अस्पतालों और राहत शिविरों में भटक रहे हैं।

आपदा के कारण कम से कम 16 आवासीय मकान, तीन मंदिर, एक सरकारी इमारत, 30 मीटर लंबा पुल और एक दर्जन से अधिक वाहन पूरी तरह नष्ट हो गए। प्रभावित क्षेत्र में अब भी मलबे के ढेर और गाद की मोटी परतें फैली हैं, जिससे राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।

स्थानीय लोगों ने इस भयावह क्षण को बयां करते हुए बताया कि उन्हें “अचानक बम फटने जैसी तेज आवाज़” सुनाई दी, जिसके बाद लोग घबराकर भागने लगे। एक पीड़ित ने कहा, “मैं भाग ही रहा था कि मलबे में फंस गया और बिजली का खंभा मेरे ऊपर गिर पड़ा। मैंने अपनी बेटी को पुकारा, जिसने मुझे बाहर निकाला।”

खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर से सहायता सामग्री भेजना संभव नहीं हो सका, जिसके चलते एनडीआरएफ की टीम उधमपुर से सड़क मार्ग के जरिए देर रात गुलाबगढ़ पहुंची। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में क्षेत्र में और बारिश हो सकती है, जिससे राहत कार्य की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। इस त्रासदी ने न केवल सैकड़ों परिवारों को शोक में डुबो दिया है, बल्कि किश्तवाड़ की घाटियों में मातम और सन्नाटा पसरा हुआ है।

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