उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक घटना के विरोध में ‘महाराष्ट्र बंद’ अवैध घोषित करने की मांग चार पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने की है। बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में अधिकारियों ने कहा है कि सभी तरह का लेन-देन रोकना, व्यवसाय बंद करना आम आदमी के अधिकारों का उल्लंघन है। अधिकारियों ने इसके लिए महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इस दौरान हुए नुकसान के लिए 3000 करोड़ रुपये मुआवजा के तौर मांग की गई है।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन के दौरान हिंसा हो गई थी। इसके बाद 11 अक्टूबर को महाराष्ट्र सरकार ने इस हिंसा के विरोध में ‘महाराष्ट्र बंद’ बुलाया था। जिससे प्रदेश कई स्थानों पर हिंसा हुई, साथ लोगों को जबरन दुकान बंद करने, आवागमन रोकने आदि की घटनाएं भी सामने आई। अब पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों, जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी जूलियो रिबेरो, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डीएम सुकथनकर, गर्सन डिकुन्हा और साइरस गजदार ने यह याचिका दाखिल की है।
दायर याचिका में पूर्व अधिकारियों ने इस दौरान राज्य को हुए नुकसान की भरपाई की पूर्ति तीनों दलों से करने की मांग की है। अधिकारियों अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि इस दौरान व्यवसाय बंद करना, हर तरह का लेन -देन बंद करना आम नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन है। चारों पूर्व अधिकारियों ने इसके लिए महाराष्ट्र सरकार शामिल तीनो दलों को जिम्मेदार ठहराया है। इस दौरान हुई क्षति पूर्ति की भरपाई तीनों दलों से करने की मांग की है। इतना ही नहीं उन लोगों पर आपराधिक मामला भी दर्ज करने की मांग की गई है।
ये भी पढ़ें
शक्ति मिल गैंगरेप केस: दोषियों की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदली
मुंबई पहुंचे परमबीर सिंह, कहा- जांच में सहयोग के लिए आया हूं