मुंबई। मराठी ग्रंथ संग्रहालय का संविधान और नियमों का उल्लंघन लगातार हो रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता और आजीवन सदस्य अनिल गलगली खुले चुनाव न लेने से नाराज होकर चुनाव के विरोध में 24 अक्टूबर को चुनाव से हट गए हैं। मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय द्वारा घोषित उपाध्यक्ष/उपाध्यक्ष पद के लिए अनिल गलगली ने अपनी उम्मीदवारी दाखिल की थी। यह चुनाव संविधान के नियम 10.1 के अनुसार खुला चुनाव होना चाहिए था। अनिल गलगली का स्पष्ट मत है कि प्रत्येक सदस्य को मतदान द्वारा अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का चुनाव करने का अधिकार होना चाहिए। इसके लिए गलगली ने सभी सदस्यों को चुनाव की सूचना देने और जरूरत पड़ने पर चुनाव स्थगित करने का अनुरोध पत्र लिखा था।
लेकिन गलगली के अनुरोध को अनसुना कर दिया गया और आम सभा में चुने गए 6,000 से अधिक सदस्यों के बजाय केवल 34 सदस्यों को ही वोट देने का अधिकार दिया जा रहा है। चुनाव अधिकारी के फैसले का कोई कानूनी आधार नहीं है और इस फैसले से काफी विवाद हुआ है। लिखित पत्र देने के बाद भी चाहे वह चुनाव अधिकारी हो या मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय द्वारा संविधान और नियमों को कुचल दिया गया है। इसके विरोध में अनिल गलगली ने सोमवार को चुनाव से नाम वापस ले लिया। नाम वापस लेने के बाद अनिल गलगली ने साफ कर दिया है कि अध्यक्ष/उपाध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया को लेकर लिया गया फैसला उनके तक सीमित नही हैं। यह प्रश्न सभी सदस्यों के अधिकारों से संबंधित है। इसलिए, यह उपयुक्त न्यायाधिकरण में अपील करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।