मुंबई। एनसीपी ने वसूली के आरोपों से घिरे राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के साथ मजबूती से खड़े रहने का फैसला किया है। मंगलवार को एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल के घर पर देर रात तक चली बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में मंत्रियों ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के साथ मजबूती से खड़े रहने की बात कही। इस दौरान महामंडलों में तुरंत नियुक्ति की भी मांग उठी। बैठक की जानकारी देते मंत्री मलिक ने बताया कि बैठक में पार्टी के संगठनात्मक विस्तार पर चर्चा हुई। इस बात पर सहमति बनी की महामंडलों के आवंटन और विभिन्न सरकारी समितियों में नियुक्तियों के संबंध में निर्णय मानसून सत्र के बाद लिया जाना चाहिए। ये नियुक्तियां किए जाने की जरूरत है क्योंकि सरकार लगभग दो साल से सत्ता में है।
मलिक ने यह भी कहा कि महाविकास अघाड़ी में तीनों दल एक साथ बैठकर इस पर चर्चा करेंगे। मलिक ने कहा कि पार्टी अनिल देशमुख के साथ खड़ी है। उन्हें जानबूझकर कर परेशान किया जा रहा है। केंद्र सरकार के दबाव में कुछ अधिकारी ऐसा कर रहे हैं। जिस तरह से सीबीआई, ईडी जांच कर रही है, उससे पता चलता है कि उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है। मलिक ने केंद्र पर अपनी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के आरोप में 2 साल तक जेल में रहे छगन भुजबल मौजूदा सरकार में मंत्री हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी भ्रष्ट नेताओं की शरणस्थली मानी जाती है। कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की मांग कर रही है।
हालांकि मलिक ने स्पष्ट किया कि सभी विधायकों की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट मिलने के बाद ही विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। उन्होंने कहा कि सरकार में कोई विवाद नहीं है। तीनों पक्षों के साथ समन्वय से काम चल रहा है। मलिक ने कहा, हम मानसून सत्र में भाजपा के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं। बैठक में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल, गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल, सांसद सुप्रिया सुले, सांसद सुनील तटकरे, ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ, आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड, अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक और सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल मौजूद थे।