ओएनजीसी गैस रिसाव: नियंत्रण कार्यों की केंद्रीय मंत्री ने समीक्षा

कंपनी के निदेशक (प्रौद्योगिकी एवं फील्ड सेवाएं) विक्रम सक्सेना के नेतृत्व में विशेषज्ञ दल ने शनिवार को ही कुएं का परिचालन नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था।

ओएनजीसी गैस रिसाव: नियंत्रण कार्यों की केंद्रीय मंत्री ने समीक्षा

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असम के शिवसागर जिले के आरडीएस‑147 कुएं से जारी गैस रिसाव पर काबू पाने के प्रयास लगातार पांचवे दिन भी जारी हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑपरेशन की समीक्षा की और ताज़ा हालात का ब्योरा लिया। उन्होंने सोशल‑मीडिया मंच एक्स पर बताया कि कुएं में उच्च दबाव के कारण गैस का प्रवाह थम नहीं रहा है, लेकिन ओएनजीसी की संकट प्रबंधन टीम (सीएमटी) युद्धस्तर पर काम कर रही है।

पुरी ने कहा, “स्थानीय निवासियों को पहले दिन ही तुरंत निकाल लिया गया था और उन्हें सभी तरह की राहत और सहायता प्रदान की जा रही है। ओएनजीसी के अन्य कार्य केंद्रों से सक्षम कर्मियों को लाया गया है और आग पर काबू पाने के लिए उच्च क्षमता वाले फायर पंप, फ्रैक पंप, मड आदि सभी का इस्तेमाल किया जा रहा है।”

मंत्री ने बताया कि रिसाव रोकने के लिए ‘जंक पंपिंग’ जैसी उन्नत तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है और भारतीय अभियंता विदेशी विशेषज्ञों से लगातार समन्वय बनाए हुए हैं। उन्होंने जोड़ा, “आग को रोकने और शीतलन प्रभाव के लिए लगातार पानी की व्यवस्था की जा रही है।”

ओएनजीसी ने पुष्टि की कि उसकी सर्वाधिक अनुभवी संकट प्रबंधन टीम मौके पर तैनात है। कंपनी के बयान में कहा गया है, “भूवैज्ञानिक चुनौतियां तेल और गैस संचालन में अंतर्निहित होती हैं। भारत की प्रमुख ऊर्जा कंपनी के रूप में ओएनजीसी कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करती है। ओएनजीसी गैस रिसाव को जल्द से जल्द पूरी तरह से नियंत्रण में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।”

कंपनी के निदेशक (प्रौद्योगिकी एवं फील्ड सेवाएं) विक्रम सक्सेना के नेतृत्व में विशेषज्ञ दल ने शनिवार को ही कुएं का परिचालन नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था। उन्होंने कहा, “कुएं को नष्ट करने की प्रक्रिया जारी है और हमने इसके लिए सभी आवश्यक उपकरण जुटा लिए हैं। संकट प्रबंधन दल (सीएमटी) रिसाव को नियंत्रित करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है।”

जिला प्रशासन के अनुसार, घटना से करीब 1,500 ग्रामीण प्रभावित हुए हैं। अधिकारयों के अनुसार उन्हें गैस की गंध आ रही है और वे अपना चूल्हा या कुछ भी नहीं जला पा रहे हैं। हम उन्हें पका हुआ भोजन उपलब्ध करा रहे हैं और स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं। ओएनजीसी ने आपातकालीन प्रतिक्रिया के तहत 24×7 नि:शुल्क चिकित्सा शिविर स्थापित किए हैं, जहां डॉक्टरों की टीम लोगों और उनके पालतू पशुओं की स्वास्थ्य जांच कर रही है।

कंपनी का दावा है कि वह पुलिस‑प्रशासन, मीडिया और स्थानीय समुदाय के नेताओं के साथ लगातार संवाद कर रही है, ताकि पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो। उच्च क्षमता वाले फायर पंपों के अलावा, मड सर्कुलेशन और फ्रैक पंप से दबाव कम करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, कुएं को स्थायी रूप से सील करने में कई दिन लग सकते हैं, क्योंकि उच्च दबाव वाले गैस‑स्त्रोत को नियंत्रित करना बेहद जटिल प्रक्रिया है। हालांकि केंद्र और राज्य स्तर पर समन्वित प्रयासों के चलते प्रशासन आश्वस्त है कि जल्द ही हालात काबू में आ जाएंगे। ग्रामीणों को तब तक के लिए सुरक्षित आश्रयों, पेयजल और भोजन की आपूर्ति जारी रहेगी।

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