‘मुंबई की स्थिति को बदलना है तो राजनीति हस्तक्षेप से बचना होगा’ 

'विवेकानंद यूथ कनेक्ट' में गणमान्यों ने मुंबई स्थिति पर की चर्चा 

‘मुंबई की स्थिति को बदलना है तो राजनीति हस्तक्षेप से बचना होगा’ 
‘विवेकानंद यूथ कनेक्ट’ के माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में कई गणमान्य ने मुंबई की स्थिति में सुधार की वकालत की। उनका कहना है कि दुनिया के अन्य शहरों की तरह मुंबई की ‘व्यवस्था ‘ में बदलाव करना है तो प्रशासन में परिवर्तन करना होगा। इसके लिए प्रशासन को नियंत्रित करना होगा, मौजूदा नीतियों की खामियों में भी बदलाव करना होगा। इसके अलावा राजनीति हस्तक्षेप से भी बचना होगा।
राजेश सर्वज्ञ की इस पहल में मुंबई के कुछ गणमान्य लोग इस चर्चा में शामिल हुए। उन्होंने मुंबई में स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक उपायों पर अपने सुझाव दिए। इनमें मुंबई के मेयर किशोरी पेडनेकर, भाजपा नेता और विधायक अतुल भातखलकर, सुधींद्र कुलकर्णी, वास्तुकार शशि प्रभु, नानिक रूपानी और अन्य शामिल थे। राजेश सर्वज्ञ ने पहले इस संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य  भी बताया।
इस मौके पर भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने तीन मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि सबसे पहले राजेश सर्वज्ञ को बधाई। उनकी यह पहल अच्छी है। मुंबई की हालत खराब है। मैं इस बारे में बहस नहीं करने जा रहा हूं कि किसके पास राज्य था, किसके पास शक्ति थी। उन्होंने बताया कि 17 योजना प्राधिकरण हैं। क्या होगा अगर एक शहर में इतने सारे अधिकारी हैं? बीपीटी, म्हाडा, एमएमआरडीए प्राधिकरण हैं।
उन्होंने कहा कि  मेरे निर्वाचन क्षेत्र में एक फ्लाईओवर बनाया गया था। दूसरी लेन 10 साल बाद बनाई गई थी। जब मैं विधायक बना तो बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे। फिर उसने मुझे नीचे जाने को कहा। एमएमआरडीए के पास यह फ्लाईओवर है। दूसरी लेन में भी गड्ढे नजर आए। लेकिन वह गली एमएसआरडीसी के पास है, अब क्या करें?

उन्होंने  बताया कि मुंबई मराठी पुस्तकालय मुंबई की अपनी संस्कृति है। मैं पिछले पांच साल से मांग कर रहा हूं कि यह मुंबई की सांस्कृतिक पहचान हो। मेरे निर्वाचन क्षेत्र में, खुरादा नामक मुंबई मराठी पुस्तकालय है। उन्होंने कहा कि इसके व्यावसायिक उपयोग के लिए अतिरिक्त एफएसआई की मांग की,इसे व्यवस्थित करने  आदि सुविधाओं की मांग की लेकिन इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया।


वरिष्ठ विचारक सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि मुंबई की बेहतरी के लिए गहन आत्मनिरीक्षण की जरूरत है। आत्मसंतुष्ट न हों। मुख्य नगर के रूप में जाना जाता था। लेकिन अब मुंबई पीछे छूट गई है। हम वाजपेयी के साथ शंघाई गए थे। पुडोंग के क्षेत्र में इतना सुधार हुआ है कि यह न्यूयॉर्क से बेहतर शहर बन गया है। हम शंघाई के मुकाबले पिछड़ रहे हैं। शंघाई में दो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं। मुंबई में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। भारी भीड़ होती है। बैठने की जगह नहीं है। 6-7 दुनिया के सबसे अच्छे विश्वविद्यालय शंघाई में हैं। लेकिन मुंबई विश्वविद्यालय भारत के 30 विश्वविद्यालयों में भी नहीं है। आज मुंबई पुस्तकालय की क्या स्थिति है और शंघाई में पुस्तकालयों की क्या स्थिति है?

कुलकर्णी ने कहा, “मुझे लगता है कि मुंबई में प्रशासन को बदलने की जरूरत है।” मुंबई नगर निगम ने अपनी प्रतिष्ठा खो दी है। इसमें मंत्रालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। स्वायत्त शासन प्रणाली की जरूरत है।

आर्किटेक्ट शशि प्रभु ने कहा कि लोग आ रहे हैं, लेकिन उनके पास रहने की जगह नहीं है  बचपन में मुंबई में सड़कें धोई जा रही थीं। ऐसा नहीं है कि पानी भरपूर था, लेकिन आबादी कम थी। हमें सोचना होगा कि लूट को कैसे रोका जाए। इसे कहीं तो रोकना होगा। मुंबई की सड़कों  की ट्रैफिक गंभीर स्थिति में है।

मेयर किशोरी पेडनेकर ने कहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच समन्वय की कमी मुंबई में नगरपालिका प्रशासन के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार थी। उन्होंने कहा कि नेता भले ही कुर्सी पर हों, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभुत्व प्रशासन का होता है। अधिकारियों को किसी की परवाह नहीं है। सरकार जो भी हो। प्रशासन में अधिकारियों के बीच एक राय नहीं है।

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