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Monday, July 14, 2025
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भारत के नए R&AW प्रमुख क्यों है खास ? संकट के समय साबित किया है खुद को!

'ऑपरेशन सिंदूर' से लेकर खालिस्तानी मॉड्यूल तक हर पराग जैन का दबदबा।

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भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) को मंगलवार (1 जुलाई) को नया प्रमुख मिल गया है। रवी सिन्हा के सेवानिवृत्त होने के बाद पराग जैन ने आज R&AW चीफ का कार्यभार संभाल लिया। पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक भूमिका निभा चुके पराग जैन को उनके सहयोगी शांत लेकीन कारगर अफसर के तौर पर जानते हैं।

1989 बैच के आईपीएस अधिकारी पराग जैन ने पंजाब कैडर से पुलिस सेवा की शुरुआत की। यह वही शुरुआती दौर था जब पंजाब आतंकवाद से जूझ रहा था, तब उनके शांत और सौम्य व्यक्तित्व को लेकर कुछ बैचमेट्स को आशंका थी कि वह ऐसे हालात में कैसे काम कर भी पाएंगे या नहीं लेकिन जल्द ही उन्होंने सबका भ्रम तोड़ दिया। उनका यह शांत स्वाभाव बड़े ऑपरेशन्स में कारगर साबित हुआ।

उन्होंने मुख्यमंत्री की सुरक्षा टीम में सेवा दी, साथ ही बठिंडा, मानसा और होशियारपुर जैसे संवेदनशील इलाकों में काम किया। बाद में वह चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) और लुधियाना के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) बने। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इन पदों पर बेहद रणनीतिक और शांत कार्यशैली अपनाई। एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने मीडिया को बताया, “वह कभी कठोर नहीं बने, बल्कि रणनीतिक और कॅल्कुलेटड प्रतिक्रिया देना सीखा। वह धीरे-धीरे पंजाब के सबसे कुशल अधिकारियों में गिने जाने लगे।”

विदेशों में भी उनकी तैनाती बेहद अहम रही। कनाडा में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने खालिस्तानी आतंकी नेटवर्क्स पर कड़ी नजर रखी और भारत को उनकी गतिविधियों के प्रति समय रहते आगाह किया। इसके अलावा वह श्रीलंका में भारत के स्टेशन चीफ भी रहे, जहां उन्होंने देश में 2022 में शासन परिवर्तन के समय काम किया।

2022 में आर्थिक संकट के चलते राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा और दो साल बाद सितंबर 2024 में अनुरा कुमारा डिसानायके को नया राष्ट्रपति चुना गया। यह बेहद संवेदनशील समय था, और उस दौरान भारत के खुफिया मूल्यांकन में पराग जैन की भूमिका महत्वपूर्ण रही।

जम्मू-कश्मीर में भी जैन की तैनाती रही है। फरवरी 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक और अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान वह कश्मीर में तैनात थे। यह दोनों ही घटनाएं संवेदनशील और खुफिया रूप से चुनौतीपूर्ण थीं। R&AW के एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) के प्रमुख रहते हुए, वह पाकिस्तान डेस्क के प्रभारी भी थे, जो दुश्मन देश की गतिविधियों पर नजर रखता है।

पराग जैन को खुफिया हलकों में ‘सुपर स्लीथ’ कहा जाता है। वह ह्यूमन इंटेलिजेंस और टेक्निकल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ हैं। यही क्षमता उन्हें ऑपरेशन सिंदूर में काम आई। यह ऑपरेशन पाकिस्तान के खिलाफ पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाया गया था। इस अभियान के तहत, जैन के नेतृत्व में R&AW ने आतंकी शिविरों और ठिकानों की सटीक लोकेशन और इंटेल इनपुट मुहैया कराए, जिसके चलते मिसाइल स्ट्राइक में बेहद सटीकता हासिल हुई। यह सफलता जम्मू-कश्मीर में वर्षों से तैयार किए गए नेटवर्क और अनुभव का नतीजा थी।

उन्हें जानने वाले अधिकारी उन्हें शांत, दूसरों को सुनने वाला, और मेहनती स्वभाव बताते हैं। 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी ने बताया, “पराग एक अच्छे अधिकारी हैं, मेहनती, हैंड्स-ऑन और एक सच्चे प्रोफेशनल।” उनके शांत नेतृत्व की बार-बार सराहना होती है। कहा जाता है यह अधिकारी कभी उत्तेजना में नहीं आता, जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेता। लेकीन जिस भी फैसले पर आता है, वह बड़े योजनाबद्द तरीके से लिया होता है।

सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी एस. रामकृष्णन, जिन्होंने जैन को पुलिस अकादमी में प्रशिक्षित किया था, उन्हें याद करते हैं, “वह शुरुआत में सबसे एथलेटिक नहीं थे, खेल पृष्ठभूमि से नहीं थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। हर मानक को पूरा किया और पीछे नहीं हटे।” उन्होंने आगे कहा, “पराग की यात्रा प्रशिक्षण मैदान से भारत की खुफिया एजेंसी के शीर्ष तक पहुंचने की कहानी है — यह अनुशासन, चरित्र और संकल्प की मिसाल है।”

भारत एक अस्थिर पड़ोस में कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है — चीन की बढ़ती आक्रामकता, पाकिस्तान के आतंकी मॉड्यूल्स और वैश्विक मंच पर खुफिया प्रतिस्पर्धा। ऐसे में पराग जैन जैसे अनुभवशील और शांत अधिकारी की जरूरत कहीं ज्यादा है।

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