भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति के लिए भारतीय नौसेना: राष्ट्रपति कोविंद

भारतीय नौसेना के 22वें मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों 'प्रेसिडेंटस स्टॅंडर्ड' प्रदान किया

भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति के लिए भारतीय नौसेना: राष्ट्रपति कोविंद

 वैश्विक समुद्री व्यापार में भारतीय समुद्री क्षेत्र का एक प्रमुख योगदानकर्ता है, इसलिए इस क्षेत्र में शांति बनाए रखना न केवल हमारे लिए बल्कि पूरे वैश्विक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय नौसेना जो दुनिया की सबसे बड़ी नौसेनाओं में से एक है। इंडियन नेवी से उम्मीद की जाती है कि वह समुद्री पड़ोसी हिंद महासागर क्षेत्र में एक पसंदीदा सुरक्षा की भागीदार है। ऐसा प्रतिपादन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया। मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों  ’22 वी वेसल मिसाइल युद्धपोत की टुकड़ी को राष्ट्रपति मानक प्रदान किया गया। लेफ्टनंट युध्दी सुहाग ने ’22 वी वेसल स्क्वॉड्रन, मिसाइल युद्धपोत की टुकड़ी को दिए गए प्रेसिडेंट’स स्टॅंडर्ड पुरस्कार को राष्ट्रपति से स्वीकार किया।‌

 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वीर और शक्तिशाली वर्ग की जहाजों को शामिल करके ‘किलर स्क्वाड्रन’ लगातार विकसित हो रहा है। यह बहुत खुशी की बात है कि इस शक्तिशाली वर्ग के जहाजों का निर्माण भारत में किया गया है, जो स्वदेशीकरण के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता और भारतीय नौसेना के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को दर्शाता है। राष्ट्रपति ने कहा कि 17वीं शताब्दी में भारत में युद्ध के लिए तैयार एक नौसैनिक बल के निर्माण के लिए एक दूरदर्शी राजा के रूप में नौसेना के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज को यह मानवंदना है।‌

 सबसे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ’22वें किलर स्क्वॉड्रन्स’ टुकड़ी के सभी वरिष्ठों के साथ-साथ सेवा में कार्यरत जवानों द्वारा देश के लिए की गई महान सेवा के लिए उनका अभिनंदन किया। उन्होंने सर्वोच्च बलिदान देनेवाले उन बहादुर नाविकों और अधिकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। देश अपना ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ मना रहा है। ’22वें किलर स्क्वॉड्रन्स’, मिसाइल युद्धपोत,को राष्ट्रपति मानक से सम्मानित किया जा रहा है, एक बहुत ही उचित अवसर है। इस तुकड़ी द्वारा किया गया कार्य भविष्य और वर्तमान अधिकारियों- खलासियों के उल्लेखनीय सेवा का प्रतीक है। 22वीं मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन ने पिछले पांच दशकों में एक अविरत और अखंडित यात्रा की है।
 स्क्वाड्रन का गौरवशाली इतिहास 1970 में सोवियत रूस के ओएसए वन क्लास के आठ जहाजों को शामिल करने के साथ शुरू हुआ। इस स्क्वाड्रन की गति और मारक क्षमता के लिए प्रसिद्ध इस जहाज ने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। राष्ट्रपति ने कहा कि इस युद्ध में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सफल नौसैनिक अभियानों की स्मृति में चार दिन पहले हमने नौसेना दिवस मनाया था।

एक मिसाइल युद्धपोत, को राष्ट्रपति मानक से सम्मानित किया जा रहा है, एक बहुत ही सामयिक अवसर है। इसके प्रमाण हैं। 22वीं मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन ने पिछले पांच दशकों में एक निर्बाध, निर्बाध यात्रा की है। स्क्वाड्रन का गौरवशाली इतिहास 1970 में सोवियत रूस के वेसल स्क्वाड्रन द्वारा आठ ओएसए वन क्लास जहाजों को शामिल करने के साथ शुरू हुआ। अपनी स्क्वाड्रन गति और मारक क्षमता के लिए प्रसिद्ध इन जहाजों ने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने चार दिन पहले एक ही युद्ध में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सफल नौसैनिक अभियानों की स्मृति में नौसेना दिवस मनाया था।

 ‘ऑपरेशन ट्रायडंट’ और ‘पायथन’द्वारा हमारी जहाजों ने पाकिस्तान की नौसेना की जहाजों को पश्चिमी समुद्र में डुबो दिया और दुश्मन के युद्ध के प्रयासों को जोरदार झटका दिया। 50 वर्ष पहले आज ही के दिन अर्थात 8 दिसंबर को इस किलर स्क्वाड्रन जहाज़ों ने शत्रु का मनोबल तोड़ दिया और पूरे समुद्र पर अपना नियंत्रण कर लिया। राष्ट्रपति ने कहा कि ये युद्धपोत हमारी नौसेना के युद्ध की सबसे शक्तिशाली ताकत बन गई हैं। ‌राष्ट्रपति स्टैंडर्ड सम्मान प्रदान करना यानी इस तुकड़ी के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों के साथ नाविकों द्वारा देश के प्रति की गई अतुल्यनीय सेवा व समर्पण की रसीद है।

हमारा राष्ट्र एक समुद्री राष्ट्र है। देश की विदेश नीति को आगे बढ़ाने और हमारे राष्ट्रीय हितों तथा व्यावसायिक हितों की रक्षा करने में हमारी नौसेना की प्रमुख भूमिका है।  भारतीय नौसेना अपने व्यापक समुद्री हितों की सफलतापूर्वक रक्षा कर रही है इस पर राष्ट्रपति श्री कोविंद ने संतोष जताया।
भारतीय नौसेना देश और देश के बाहर मानवीय संकट या प्राकृतिक आपदाओं के समय लोगों की सहायता करने में भी सबसे आगे है। कोविड-19 के संकट काल में भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने के साथ ही तौकत्ते चक्रवाती तूफान में बचाव कार्य में भारतीय नौसेना ने बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके लिए राष्ट्रपति कोविंद ने नौसेना के काम की सराहना की और 22वीं किलर स्क्वाड्रन मिसाइल युद्धपोत के चालक दल के भविष्य की शुभकामनाएं दी।
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