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Sunday, November 24, 2024
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मराठवाड़ा में बारिश: पांच दिनों में 50 मिमी बारिश, और बारिश की उम्मीद​!

पिछले तीन-चार सालों से भारी बारिश की मार झेल रहे मराठवाड़ा के किसानों पर अब सूखे का संकट मंडराने लगा है​|​ इसलिए मराठवाड़ा के किसान बंजरता और आर्थिक स्थिति के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं।​​ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं कि पिछले आठ महीनों में 685 किसानों ने आत्महत्या की है​|​

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अगस्त के सूखे महीने के बाद सितंबर के दूसरे हफ्ते में बारिश के आसार नजर आ रहे हैं| जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है|मराठवाड़ा में पिछले पांच दिनों में 50 मिमी बारिश हुई है, जिससे किसानों को राहत मिली है|इसके बावजूद अभी भी भारी बारिश की आशंका है। क्योंकि कई परियोजनाएं अभी भी सूखी पड़ी हैं और कुएं भी सूख गए हैं|

पिछले पांच दिनों में मराठवाड़ा में 50 मिमी बारिश हुई। बारिश हो चुकी है, विभाग का वार्षिक औसत 679 मिमी औसत की तुलना में 454 मि.मी. यहाँ बारिश हो गई है। तो अभी भी 225 मिमी. बारिश की कमी जारी है|बारिश के प्रतिशत पर नजर डालें तो 66.8 बारिश हुई है और 34 फीसदी की कमी है|पिछले साल 117 फीसदी बारिश हुई थी| 10 सितंबर तक 670 मिमी. बारिश हो चुकी थी|मराठवाड़ा में कम बारिश के कारण 11 प्रमुख परियोजनाओं में कम जल भंडारण की तस्वीर सामने आ रही है|6 सितंबर की रात से क्षेत्र में बारिश शुरू हो गई है, चार जिलों के 10 मंडलों में भारी बारिश दर्ज की गई|

फसलों को जीवनदान..: इस साल मानसून देर से आने के कारण बुआई में भी देरी हुई है| जुलाई माह में कुछ वर्षा के बाद अगस्त माह सूखा रहा। इसकी वजह से फसलें सचमुच खत्म हो गईं। कुछ स्थानों पर फसलें उगने लगी थीं। तो किसान बड़ी मुसीबत में पड़ गया| ऐसे में पिछले चार-पांच दिनों में हुई बारिश ने फसलों को जीवनदान दे दिया है|

चूँकि यह बारिश तब हुई जब ख़रीफ़ की फसलें अंतिम चरण में थीं, किसानों को राहत मिली। लेकिन, अभी भी कुएं और बांध नहीं भरे हैं|इसलिए आने वाले समय में और भारी बारिश की आशंका है|बारिश के सिर्फ 20 दिन बचे हैं|इसलिए किसानों की निगाहें अभी भी बारिश पर टिकी हुई हैं|

किसानों की आत्महत्याएं बढ़ीं…: इस साल के खरीफ सीजन में बारिश के मुंह मोड़ने से किसानों को डर है|पिछले तीन-चार सालों से भारी बारिश की मार झेल रहे मराठवाड़ा के किसानों पर अब सूखे का संकट मंडराने लगा है|इसलिए मराठवाड़ा के किसान बंजरता और आर्थिक स्थिति के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं।चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं कि पिछले आठ महीनों में 685 किसानों ने आत्महत्या की है|

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