रश्मि शुक्ला को बांबे हाईकोर्ट से राहत,राज्य सरकार से मांगा यह जवाब

रश्मि शुक्ला को बांबे हाईकोर्ट से राहत,राज्य सरकार से मांगा यह जवाब

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मुंबई। फोन टैपिंग मामले में बांबे हाईकोर्ट ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला को मिली राहत को 13 सितंबर तक बढा दिया है। अदालत ने कहा कि तब तक पुलिस उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर सकती। शुक्ला की याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। जबकि राज्य सरकार के वकील ने कहा कि पुलिस विभाग की गोपनीय जानकारी लीक की गई है इस लिए मामले की जांच जरुरी है।

महाराष्ट्र की खुफिया विभाग की प्रमुख रहते रश्मि शुक्ला ने कुछ लोगों के फोन टेप कर तबादलों में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। इस मामले की रिपोर्ट उन्होने राज्य सरकार को सौपी थी पर सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इस बीच विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने यह रिपोर्ट की जानकारी सदन को दे दी। इससे चिढी राज्य सरकार ने शुक्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी है। इसके खिलाफ उन्होने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। शुक्ला फिलहाल हैदराबाद में सीआरपीएफ में तैनात हैं। हाईकोर्ट में शुक्ला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। जिसमें शुक्ला ने मामले को लेकर साइबर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील डेरिस खंबाटा ने दावा किया कि शुक्ला की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि मामले को लेकर पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें शुक्ला के नाम का उल्लेख नहीं है। क्योंकि साइबर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

शनिवार को शुक्ला की याचिका न्यायमूर्ति एस एस शिंदे व न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने फोन टैपिंग मामले को लेकर विवादों में घिरी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला को पुलिस की कड़ी कार्रवाई से मिली राहत को 13 सितंबर 2021 तक के लिए बढ़ा दिया। इसके साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर शुक्ला की याचिका पर  राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। इस प्रकरण में शुक्ला इंडियन टेलीग्राफ ग्राफ कानून व ऑफिशियल सीक्रेट कानून के तहत आरोपों का सामना कर रही हैं। उन पर पुलिस तबादले व तैनाती से जुड़ी गोपनीय सूचना को सार्वजनिक करने का आरोप है।

कथित अवैध फोन टैपिंग का मामला तब सामने आया था जब शुक्ला राज्य खुफिया विभाग की प्रमुख थी। फिलहाल शुक्ला हैदराबाद में सीआरपीएफ के दक्षिण जोन की अतिरिक्त महानिदेशक हैं। खंडपीठ के सामने शुक्ल की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी की दलीलें पूरी हो गई हैं। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर दावा किया कि राज्य सरकार मेरी मुवक्किल को इस मामले में बली का बकरा बनाकर कोर्ट की आंखों में धूल झोंक रही हैं और इस प्रकरण में राज्य के मौजूदा मुख्य सचिव सीताराम कुंटे को बचाने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि कुंटे ने ही गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रहते मेरी मुवक्किल को फोन टैपिंग की मंजूरी दी थी। मामले से जुड़ी एफआईआर पुलिस महकमे में तबादले व तैनाती में होनेवाले भ्रष्टाचार को दबाने का प्रयास है। एफआईआर में यह दुर्भावना साफ दिख रही है।

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