सोमवार को राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने विधानसभा में यह ऐलान किया। पाटिल ने कहा की मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्र, जिन्होंने कोविड 19 के कारण माता-पिता को खो दिया है। राज्य सरकार उनकी फीस खुद वहन करेगी। कोरोना महामारी के दौरान बहुत से बच्चे अनाथ हो गए हैं। इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई में भारी भरकम फीस देनी होती है।
कोरोना से अनाथ हुए 1450 बच्चे: इसके पहले कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों को बाल कल्याण निधि के तहत दी जाने वाली 11 सौ रुपए की राशि को बढ़ाकर पांच हजार रुपए करने और उनकी शिक्षा को सुनिश्चित करने की मांग को बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में दावा किया गया है कि कोरोना के चलते राज्य भर में करीब 1450 बच्चे अनाथ हुए। इन सभी बच्चों व वयस्क युवाओं को बाल न्याय कानून 2015 के तहत शिक्षा का इंतजाम करने का भी निर्देश दिया जाए।
याचिका में कहा गया है कि अनाथ बच्चों की पहचान से जुड़े दस्तावेजों को भी सरकार को सुरक्षित रखने के लिए कहा जाए। इसके अलावा यदि अनाथ बच्चों को पहचान पत्र दिया जाता है तो यह उनकी शिक्षा व रोजगार के लिए कारगर होगा। याचिका मे आग्रह किया गया है कि बच्चों के लिए बनाई गई हेल्पलाइन 1098 को जिला स्तर पर महिला व बालकल्याण विभाग से जोड़ा जाए। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने अनाथ बच्चों की पहचान के लिए एक कार्यदल का गठन किया है। लेकिन ऐसे बच्चों की सिर्फ पहचान करना पर्याप्त नहीं होगा। सरकार को बच्चों की शिक्षा व उनके देखरेख से जुडी योजना की राशि को बढ़ाकर पांच हजार रुपए करना चाहिए।
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