रेलवे इतिहास में पहली बार, सेंट्रल रेलवे के इंजीनियरों पर आपराधिक लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं। यह कार्रवाई ठाणे के पास मुम्ब्रा स्टेशन के नजदीक 9 जून को हुए ट्रेन हादसे में चार यात्रियों की मौत से जुड़ी है। इसे रेलवे में जवाबदेही की दिशा में एक ऐतिहासिक परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है।
रविवार (2 नवंबर)को दर्ज की गई FIR में असिस्टेंट डिविजनल इंजीनियर विशाल डोलस और सीनियर सेक्शन इंजीनियर समर यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया है। सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के अनुसार, इन दोनों इंजीनियरों ने मरम्मत कार्यों की अनदेखी की, तकनीकी चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए संचालन मानकों का उल्लंघन किया, जिसके चलते यह दुर्घटना हुई।
हादसा उस वक्त हुआ जब दिवा और मुम्ब्रा स्टेशन के बीच दो लोकल ट्रेनें एक तीखे मोड़ पर एक-दूसरे के पास से गुजर रही थीं। भीड़भाड़ के कारण कई यात्री फुटबोर्ड पर लटक रहे थे। दोनों ट्रेनों के यात्रियों के बैग और हाथ आपस में टकराने से कुछ लोग पटरियों पर गिर पड़े, जिससे चार की मौत हो गई।
जांच में सामने आया कि हादसे से कुछ दिन पहले ही ट्रैक नंबर 4 पर मेंटेनेंस कार्य के दौरान रेल पटरी बदली गई थी, लेकिन सही तरीके से वेल्डिंग नहीं की गई। इससे ट्रैक असमान हो गया और ट्रेनें झटके खाकर पास की लाइन की ओर खिसकने लगीं।
VJTI (Veermata Jijabai Technological Institute) के तकनीकी विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पटरियों के बीच की दूरी (track spacing) भी सुरक्षा मानकों से कम थ, जहां 4,506 मिमी की दूरी होनी चाहिए थी, वहां मात्र 4,265 मिमी की दुरी पाई गई। भारी बारिश से स्थिति और खराब हो गई, जिससे वाटर लॉगिंग और बैलेस्ट वॉशआउट की समस्या उत्पन्न हुई।
स्थानीय इंजीनियरों द्वारा कई बार मरम्मत के लिखित अनुरोध भेजे गए, लेकिन अभियुक्त इंजीनियरों ने कार्रवाई नहीं की। इसके बावजूद ट्रेन की गति सीमा 75 किमी/घंटा रखी गई, जो ऐसी परिस्थितियों में अनुमत 69.4 किमी/घंटा से अधिक थी। जांच अधिकारियों ने बताया कि रेलवे प्रशासन ने भी जांच में सहयोग नहीं किया। कई कर्मचारियों ने पूछताछ से बचने की कोशिश की और आवश्यक दस्तावेज भी नहीं सौंपे। एक जांच अधिकारी ने कहा, “जांच में रेलवे खुद आरोपी बन गया।”
रेलवे की प्रारंभिक आंतरिक रिपोर्ट ने हादसे के लिए यात्रियों को दोषी ठहराने की कोशिश की, लेकिन GRP ने इस दावे को “पीड़ितों को दोषी ठहराने का प्रयास” बताते हुए खारिज कर दिया।
FIR में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की नई धाराओं के तहत लापरवाही से मृत्यु कारित करने, जीवन व सुरक्षा को खतरे में डालने और सरकारी कर्मचारी के रूप में दायित्वों के उल्लंघन के आरोप शामिल किए गए हैं। दोनों अभियुक्त इंजीनियर फिलहाल फरार हैं और उनकी तलाश जारी है। संबंधित रेलवे जोन को इस बारे में सूचित किया गया है।
हालांकि यह मामला रेलवे व्यवस्था में जवाबदेही तय करने की दिशा में एक मिसाल बन सकता है, सेंट्रल रेलवे ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। GRP ने भी वीजेटीआई रिपोर्ट रेलवे को न सौंपने का निर्णय लिया है, यह कहते हुए कि अब “इसकी आवश्यकता नहीं है”।
यह भी पढ़ें:
“न लालू प्रसाद का बेटा मुख्यमंत्री बनेगा, न सोनिया गांधी का बेटा प्रधानमंत्री”
शशि थरूर बने ‘खतरों के खिलाड़ी’: भाजपा नेता शहज़ाद पूनावाला ने की तारीफ!
दुबई से आए यात्री की गिरफ्तारी; मुंबई एयरपोर्ट पर 87 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा जब्त,वीडियो वायरल!



