मुंबई।आखिरकार 16 दिनों बाद मीडिया के दबाव में महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों की फीस में कटौती वाला शासनादेश गुरुवार को जारी करने को तैयार हुई। इसके पहले 28 जुलाई को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया था लेकिन शिक्षा संस्थान चलाने वाले कुछ मंत्रियों के विरोध के चलते शासनादेश जारी नहीं हो पा रहा था। मीडिया में यह खबर आने के बाद शिक्षा सम्राट मंत्रियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ रहा था। जिसकी वजह से सरकार फीस कटौती वाला शासनादेश जारी करने के लिए मजबूर हुई। सूत्रों के अनुसार एक दिन पहले बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भी शिक्षा सम्राट मंत्रियों ने फीस कटौती का विरोध किया था।
फीस में 15 प्रतिशत कटौती: कोरोना महामारी संकट के बीच प्रदेश सरकार ने स्कूली विद्यार्थियों के फीस में थोड़ी राहत दी है। प्रदेश में शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में स्कूलों को विद्यार्थियों की फीस में 15 प्रतिशत कटौती करनी होगी। सरकार ने राज्य में चलने वाले सभी बोर्ड और मीडियम के स्कूलों को फीस कटौती के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी किया है।
तो फ़ीस करना होगा वापस: शासनादेश के अनुसार सरकार ने स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए निश्चित की गई कुल फीस में 15 प्रतिशत कटौती करने का आदेश दिया है। जिन अभिभावकों ने बच्चों की पूरी फीस स्कूलों में जमा कर दी है ऐसी अतिरिक्त फीस को स्कूल प्रबंधन को अगले महीने या तिमाही सप्ताह अथवा अगले साल की फीस में समायोजित करना होगा। यदि इस तरीके से फीस समायोजित करना संभव नहीं होगा तो उसको वापस करना होगा।
फीस कटौती विवाद : फीस कटौती के बारे में विवाद पैदा होने पर संबंधित विभागीय शुल्क नियामक समिति अथवा सरकार के 26 फरवरी 2020 के शासनादेश के अनुसार गठित विभागीय शिकायत समिति के पास दाखिल की जा सकेगी। फीस कटौती विवाद के संबंध में विभागीय शुल्क नियामक समिति अथवा विभागीय शिकायत निवारण समिति का फैसला अंतिम रहेगा। सरकार का फीस कटौती का आदेश राज्य में सभी बोर्ड और सभी मीडियम के स्कूलों को लागू रहेगा। इस आदेश को स्कूलों को तत्काल लागू करना पड़ेगा।
विद्यार्थियों को न रोकें: सरकार ने कहा है कि कोविड काल में विद्यार्थियों को स्कूल फीस और बकाया फीस न भरने के कारण स्कूल प्रबंधन किसी विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष अथवा ऑनलाइन पद्धति से शिक्षा लेने तथा परीक्षा में बैठने पर रोक न लगाए। विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम रोका न रखा जाए। सरकार ने कहा है कि राज्य के अधिकांश इलाकों में मार्च 2020 से स्कूल बंद हैं। विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। इसलिए विद्यार्थियों ने स्कूलों की शैक्षणिक सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं किया है। इसलिए स्कूलों के शैक्षणिक खर्च में बचत हुई है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से राजस्थान सरकार को दिए गए आदेश और एक अन्य दायर विशेष अनुमति याचिका के आदेश के आधार पर यह फैसला लिया है।