बगैर OBC आरक्षण चुनाव टालने राज्य सरकार ने अपनाई यह तरकीब

विपक्ष का मिला समर्थन

बगैर OBC आरक्षण चुनाव टालने राज्य सरकार ने अपनाई यह तरकीब

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बगैर ओबीसी आरक्षण महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव टालने के लिए राज्य सरकार ने सोमवार को विधान सभा व विधान परिषद में दो विधेयक पेश किए। इन विधेयकों के मंजूर होने के बाद प्रभाग रचना (वार्ड बनाने का कार्य) का अधिकार राज्य सरकार के पास आ जाएगा और सरकार की मंजूरी मिलने के बाद ही राज्य चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनाव कराने की घोषणा कर सकेगा। साथ ही राज्य सरकार जब तक प्रभाग रचना की रिपोर्ट चुनाव आयोग को नहीं देगी, तब तक राज्य चुनाव आयोग चुनाव घोषित नहीं कर सकता। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया था और बगैर ओबीसी आरक्षण महानगर पालिका चुनाव कराने का आदेश दिया था।

विधानसभा में नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई महानगरपालिका, महानगरपालिका और महाराष्ट्र नगर परिषद, नगर पंचायत व औद्योगिक नगरी संशोधन विधेयक 2022 तथा ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने महाराष्ट्र ग्राम पंचायत और महाराष्ट्र जिला परिषद व पंचायत समिति संशोधन विधेयक पेश किया, जिसे एकमत से मंजूर कर लिया गया। भाजपा ने पहले ही इन विधेयकों को मंजूर कराने पर अपनी सहमति दे दी थी। मध्यप्रदेश की तर्ज पर लाए गए इस विधेयक के अनुसार प्रभाग रचना, चुनाव की तारीख तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास आ जाएगा।

यह विधेयक मंजूर होने पर राज्य में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण का लेकर जो समस्या पैदा हुई है, उसे हल करने का राज्य सरकार को कुछ समय मिल जाएगा। समझा जा रहा है कि इससे अब मुंबई, नागपुर सहित महाराष्ट्र की 14 महानगरपालिकाओं, नगरपालिकाओं और जिला पंचायतों के चुनाव पांच से 6 माह के लिए टल जाएंगे। ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट करने की बात कही है। अब यह टेस्ट करने का समय मिल जाएगा और बिना ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण के चुनाव नहीं हो पाएंगे। इस वजह से मुंबई, ठाणे, पुणे सहित अन्य महानगरपालिकाओं के चुनाव पांच-छ माह आगे टाले जा सकेंगे।

चुनाव टाले जाएंगे: फड़नवीस
विधान भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि इस विधेयक से ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण का मार्ग प्रशस्त नहीं हुआ है, बल्कि सिर्फ चुनाव कुछ समय के लिए आगे टाले जाएंगे। इस बीच सरकार को इंपीरिकल डेटा एकत्रित करना होगा। इसके बाद अदालत में यह डेटा पेश कर अदालत के आदेश के अनुसार ओबीसी आरक्षण सहित चुनाव कराने होंगे। उन्होंने कहा कि ओबीसी के आरक्षण के अनुसार चुनाव होने चाहिए, यह हमारा मत है। इस वजह से हमने इस बदलाव का समर्थन किया है।

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