भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी रश्मि शुक्ला के कथित फोन टैपिंग मामले को लेकर सदन में चर्चा की इजाजत नहीं मिलने पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने महाराष्ट्र विधानसभा से वॉकआउट किया। गुरुवार को सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई कांग्रेस सदस्य नाना पटोले ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि वह उन नेताओं में शामिल थे जिनके फोन कथित रूप से टैप किए गए। सबूत के अभाव का हवाला देते हुए पुलिस द्वारा क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने बाद पुणे की एक अदालत ने स्थानीय पुलिस को शुक्ला के खिलाफ कथित फोन टैपिंग मामले में जांच का निर्देश दिया है।
भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 26 के तहत फरवरी 2022 में पुणे में बंड गार्डन पुलिस थाने में शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था तब महाराष्ट्र में शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस की सरकार थी। टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 26 ‘‘संदेशों के अवैध रूप से अवरोधन’ का उल्लेख है। अधिकारी के खिलाफ मुंबई की कोलाबा पुलिस ने अन्य मामला दर्ज किया। पटोले ने पूछा कि आखिर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की क्या आवश्यकता थी और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निशाना बनाया जिनके पास इस वक्त गृह विभाग का प्रभार है। उन्होंने दावा किया कि यह मामला ऐसा है जो सदन के सदस्य के रूप में उनके अधिकार का उल्लंघन करता है।
पटोले ने इस मामले पर चर्चा की भी मांग की। अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि पटोले ने समय सीमा के बाद चर्चा के लिए नोटिस दिया था और वह इस मुद्दे को सदन की विशेषाधिकार समिति के समक्ष उठा सकते हैं। हालांकि विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि रश्मि शुक्ला मामले की जांच तब रोक दी गई थी जब विपक्ष के नेताओं सहित कई नेताओं के फोन टैप किए गए थे, जो कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम का उल्लंघन था। बहरहाल नार्वेकर ने कहा कि प्रश्नकाल जारी है जबकि विपक्ष फोन टैपिंग मामले में चर्चा पर जोर दे रहा है। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने विरोध में सदन से वॉकआउट किया।
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