प्रधानमंत्री ने हाल ही में मणिपुर मामले में सरकार के समय पर हस्तक्षेप के कारण वहां की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन हिंसा की खबरों के बारे में क्या? पीएम मोदी किसी न किसी वजह से हमेशा चर्चा में रहते हैं। मौजूदा चर्चा उनके दिए गए एक इंटरव्यू को लेकर है|मोदी का मीडिया से बात करना मूलतः सराहनीय है|तो उसकी चर्चा तो होगी| प्रधानमंत्री के रूप में अपने लगातार 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान ‘मन की बात’ के माध्यम से वह ‘एक सौ चालीस करोड़’ देशवासियों से सीधा संवाद करते हैं।
देश में होने वाले कई सूक्ष्म घटनाक्रम सोशल मीडिया पर व्यक्त होते हैं। ऐसे में उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस की जरूरत महसूस नहीं होती क्योंकि वे जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं| वैसे भी… तो, यह साक्षात्कार ‘समय पर हस्तक्षेप’ के बारे में है। एक इंटरव्यू में मणिपुर से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने मणिपुर की समस्या को सुलझाने की पूरी कोशिश की है| केंद्र और राज्य सरकारों के समय पर हस्तक्षेप के कारण, वहां की स्थिति में काफी सुधार हुआ है|
सबसे पहले मणिपुर में हिंसा पर एक त्वरित अपडेट 3 मई 2023 को मैतेई और कुकी समुदायों के बीच विवाद के कारण मणिपुर में दंगे भड़क उठे। विवाद के पीछे कारण यह था कि यदि मैती को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाता है, तो पहले से ही प्रभुत्वशाली वर्ग का प्रभुत्व बढ़ जाएगा और वे अब तक केवल कुकी के लिए आरक्षित पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का अधिग्रहण करने में सक्षम होंगे। घरों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. गाँव के गाँव नष्ट हो गये।
कई लोगों की जान चली गई| स्थिति वस्तुतः अराजक थी| यह आरोप लगाया गया कि पुलिस और प्रशासन में मैतीयों की प्रबलता के कारण कुकियों पर हो रहे अत्याचारों को नजरअंदाज किया जा रहा है। 25 दिन बाद 29 मई को गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर का दौरा किया|40 दिनों के बाद एक शांति समिति का गठन किया गया।
विरोधी आलोचना करेंगे। यह उनका कर्तव्य है, लेकिन मणिपुर के नौ भाजपा विधायकों ने प्रधानमंत्री को संबोधित दो पेज का पत्र लिखा था| ये सभी विधायक मैतेई समुदाय से थे| उन्हें यही उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मणिपुर के बारे में कुछ बयान देंगे। यह भी खत्म नहीं हुआ है| सिर्फ राजनीतिक तौर पर ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों से भी मणिपुर के लिए आवाजें उठीं|
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