गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी गेल द्वारा मध्य प्रदेश में 50 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट लगाया जाएगा| यह प्रोजेक्ट जो पहले महाराष्ट्र के संभाजीनगर या दाभोल में लगने वाला था, अब मध्य प्रदेश के सीहोर में लगने जा रहा है। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने इस घटना को लेकर सत्ता पक्ष पर निशाना साधा है, जो उद्योग महाराष्ट्र का है वो इतनी आसानी से बाहर कैसे चला गया? उन्होंने सवाल उठाया है कि उद्योग मंत्री को इसका जवाब देना चाहिए|
यह निवेश किसी सरकारी गैस परियोजना में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। मध्य प्रदेश के सीहोर में गेल द्वारा स्थापित की जा रही परियोजना प्रति वर्ष 1.5 मिलियन टन ईथेन क्रैक करेगी। कहा जा रहा है कि इस नए प्रोजेक्ट से देश में पेट्रोकेमिकल्स की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी| ईथेन प्राकृतिक गैस का एक रूप है जिससे एथिलीन का उत्पादन होता है। प्लास्टिक, सिंथेटिक रबर और अन्य पेट्रोकेमिकल का उत्पादन किया जाता है।
प्रोजेक्ट राज्य से बाहर कैसे चला गया?: वर्तमान में, रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास भारत में दो ईथेन क्रैकिंग प्रोजेक्ट हैं। एक प्रोजेक्ट गुजरात के हजीरा में और दूसरा महाराष्ट्र के नागो ठाणे में है। गेल वर्तमान में मध्य प्रदेश में जिस परियोजना की योजना बना रही है, वह महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर या दाभोल में होनी थी। लेकिन बाद में इस परियोजना को मध्य प्रदेश में स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन की 6 अरब डॉलर की इथेन-फेड क्रैकर परियोजना को भी मध्य प्रदेश की बीना रिफाइनरी में स्थानांतरित कर दिया गया है।
गेल ने फरवरी में घोषणा की थी कि अधिशेष वाले देशों से हमें ईथेन आयात किया जाएगा। मार्च में, गेल ने ईथेन और अन्य हाइड्रोकार्बन आयात करने के लिए ओएनजीसी और शेल एनर्जी इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। जहां शुरुआत में इस प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र में करने की बात चल रही थी, वहीं अब अचानक मध्य प्रदेश में निवेश करने का ऐलान किया गया है|
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