मुख्यमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में दलित युवक की मौत की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि जब ऐसी घटनाएं पड़ोसी देशों में होती हैं, तब विपक्ष अक्सर चुप्पी साध लेता है या राजनीतिक मजबूरियों के चलते इस पर खुलकर बोलने से बचता है। सीएम योगी ने सवाल उठाया कि जो दल देश के भीतर दलितों और कमजोर वर्गों की बात करते हैं, वे विदेशों में हो रहे अत्याचारों पर आवाज क्यों नहीं उठाते।
सीएम योगी ने यह भी कहा कि भारत हमेशा से मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थक रहा है। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह देश के भीतर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उत्पीड़ितों की आवाज बने। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट रुख अपनाया जाए।
मुख्यमंत्री के बयान के बाद सदन में तीखी बहस देखने को मिली। विपक्षी दलों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ऐसे मुद्दों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है। विपक्ष का कहना था कि सरकार को पहले देश के भीतर दलितों और कमजोर वर्गों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
वहीं, सत्तापक्ष के विधायकों ने मुख्यमंत्री के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यह मुद्दा मानवता से जुड़ा है और इस पर चुप रहना गलत है। कुल मिलाकर, यूपी विधान सत्र 2025 में यह विषय एक बड़े राजनीतिक और नैतिक विमर्श का केंद्र बन गया है, जिसने सदन की कार्यवाही को और गरमा दिया।
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