उद्धव सरकार को बड़ा झटका, बीएमसी में हुए भ्रष्टाचार में घेरने की तैयारी

बृह्नमुंबई महानगरपालिका के दो सालों की जांच करेगा कैग

उद्धव सरकार को बड़ा झटका, बीएमसी में हुए भ्रष्टाचार में घेरने की तैयारी

मुंबई नगर पालिका में शिवसेना को बड़ा झटका लगा हैं। बृह्नमुंबई महानगरपालिका के चुनाव से पहले ही सियासी हलचल तेज हो गई है। दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने भारत के महालेखा परीक्षक के कैन्टर (कैग) के जरिए बीएमसी के कामों की जांच कराने के आदेश दिए हैं। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि कोरोनावायरस महामारी के दौरान बीएमसी की तरफ से लिए गए फैसले भी कैग की जांच के दायरे में आ सकते हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 24 अगस्त को महाराष्ट्र विधानसभा में कैग ऑडिट की घोषणा की थी। भाजपा ने पहले आरोप लगाया था कि मुंबई नगर निगम में विभिन्न कार्यों में घोटाला हुआ है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को बीएमसी की तरफ से 28 नवंबर 2019 और 28 फरवरी 2022 के बीच 12 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की जांच के लिए कैग को आदेश दिया है। उस दौरान राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी। इसके साथ ही बीएमसी पर भी तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली तब की शिवसेना का नियंत्रण था। इसके अंतर्गत मुंबई नगर निगम में कोरोना सेंटर का आवंटन, आवश्यक वस्तुओं की खरीदी और अवैध तरीके से काम का वितरण सभी की जांच की जा रही है। हालांकि भाजपा की तरफ से उद्धव सरकार पर इस शक्ति का दुरुपयोग करने और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा कोविड केयर सेंटर्स और जंबो या फील्ड अस्पतालों और दी जा सेवाओं को लेकर कॉन्ट्रैक्ट्स पर भी सवाल उठे हैं।

सीएम के आदेशानुसार, कैग महामारी के दौरान स्थापित अस्पताल से जुड़े विवादित फैसलों की जांच कर सकता है, दहिसर में जमीन खरीद का मामला साथ-साथ वेंडर्स से उपकरण, ऑक्सीजन निर्माण परियोजना घोटाला, दवाएं और ऑक्सीजन खरीदना भी शामिल है, जिनमें कथित तौर पर अधिकारियों और राजनेताओं से तार जुड़े हुए हैं। इन सभी की जांच सीएजी के जरीए होनेवाली है।

ये भी देखें 

फिर होगा भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन?

Exit mobile version