लद्दाख में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को सोनम वांगचुक से जुड़े एनजीओ स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया। मंत्रालय ने संस्था पर विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के कई प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, संस्था ने एफसीआरए खाते में अनियमित तरीके से स्थानीय और विदेशी फंड जमा किए। जांच में पाया गया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में सोनम वांगचुक से 3.35 लाख रुपये विदेशी सहायता के रूप में दर्शाए गए, जबकि संगठन का कहना था कि यह राशि पुरानी बस की बिक्री से मिली थी। इसके अलावा, स्थानीय योगदान को भी गलत तरीके से एफसीआरए खाते में जमा किया गया।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि संस्था ने विदेशी दान से देश की संप्रभुता और संवेदनशील मुद्दों पर अध्ययन कराया, जो एफसीआरए प्रावधानों का उल्लंघन है। साथ ही, 19,600 रुपये दानदाता को लौटाने और 79,200 रुपये कर्मचारियों के वेतन से काटकर सीधे उपयोग करने जैसी वित्तीय अनियमितताएं भी पाई गईं। इन कारणों से एसईसीएमओएल का पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया।
इधर, लेह के जिला मजिस्ट्रेट ने भी सोनम वांगचुक को पत्र लिखकर उन पर गंभीर आरोप लगाए। पत्र में कहा गया कि उन्होंने प्रशासनिक दफ्तरों को दरकिनार किया, सरकारी कर्मचारियों पर दबाव बनाया और 200 कनाल जमीन पर अवैध कब्जा किया। साथ ही, चीन और अन्य जगहों से संदिग्ध संबंध होने के भी आरोप लगाए गए।
इन घटनाओं ने लद्दाख की राजनीति और सामाजिक परिदृश्य को और गरमा दिया है। स्थानीय लोग इसे सरकार की कड़ी कार्रवाई मान रहे हैं, जबकि सोनम वांगचुक के समर्थक इस कदम को आंदोलन दबाने की कोशिश बता रहे हैं।
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