लातूर के निवली में विलास सहकारी चीनी फैक्ट्री परिसर में आज पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की प्रतिकृति प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस कार्यक्रम में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे|विलासराव देशमुख की जन्म भूमि और कर्मभूमि है। लातूर में देशमुख परिवारों में मन्नारों का एक बड़ा वर्ग है। इस मौके पर अभिनेता रितेश देशमुख अपने भाषण में कहा कि हमें एक इंसान के तौर पर विलासराव से प्रेरणा लेनी चाहिए|
व्यक्तिगत आलोचना को राजनीति में न लें: समाज और परिवार में अलग-अलग भूमिका निभाते हुए आप लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यही असली पूंजी है। मेरे दादा और पिता विलासराव के बीच संबंध बहुत सम्मानजनक थे। दादाजी को इस बात की सराहना की थी उनका बेटा मुख्यमंत्री बना, लेकिन अगर कोई बात उन्हें परेशान करती है तो वे उसे बताने पर जोर देते हैं। रितेश देशमुख याद करते हैं,दादाजी ने हमसे कहा था कि राजनीति की आलोचना करते समय व्यक्तिगत आलोचना न करें|
‘महाराष्ट्र का वह’ दौर आज देखने को नहीं मिलता: रितेश देशमुख ने याद करते हुए कहा कि यह घटना हमें बाबा यानी विलासराव ने बताई थी। इसका कारण यह है कि हमें भी समाज में चलते समय यह सावधानी बरतनी चाहिए। इसे ही संस्कार कहते हैं| हम सभी भाइयों ने इस विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है।’ आजकल राजनीति में जिस स्तर पर भाषण दिये जाते हैं, उसे देखकर दुख होता है, जिस महाराष्ट्र पर कभी दिग्गज नेताओं का शासन था,आज वह समय देखने को नहीं मिलता।
चाचा-भतीजे का रिश्ता प्यार का होना चाहिए: विलासराव और दिलीपराव एक-दूसरे को भाइयों की तरह मानते थे। इन दोनों भाइयों को एक दूसरे से क्या मिल सकता है? ऐसा कभी नहीं सोचा| विलासराव और दिलीपराव ने यही संदेश दिया कि हम अपने भाई का समर्थन कैसे कर सकते हैं| विलासराव का निधन आज करीब 12 साल पहले हुआ था,लेकिन चाचा हमेशा हमारे पीछे खड़े रहते थे ताकि हमें अपने पिता की कमी महसूस न हो|
चाचा दिलीपराव अक्सर बोल नहीं पाते थे, लेकिन आज मैं सबको बताता हूं कि चाचा मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं|रितेश देशमुख ने यह भी कहा कि चाचा-भतीजे का रिश्ता कैसा होना चाहिए इसका ज्वलंत उदाहरण आज आपके सामने है|
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