चीफ जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ के बाद संजीव खन्ना होंगे भारत के 51 वे चीफ जस्टिस

जस्टिस संजीव खन्ना के पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना भी दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए।

चीफ जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ के बाद संजीव खन्ना होंगे भारत के 51 वे चीफ जस्टिस

After Chief Justice Dhananjay Chandrachud, Sanjeev Khanna will be the 51st Chief Justice of Indi

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। वहीं चीफ जस्टिस ने अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से की गई है। अगर केंद्र ने सिफारिश स्वीकार कर ली तो जस्टिस खन्ना 10 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। उसी दिन जस्टिस चंद्रचूड़ रिटायर हो जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। धनंजय चंद्रचूड़ दो साल तक अपने पद पर रहने के बाद रिटायर हो जाएंगे। रिटायरमेंट से पहले उन्होंने ले लिया संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से की गई है। अगर केंद्र ने हरी झंडी दी तो वह कार्यभार संभालेंगे और जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 23 मई 2025 तक रहेगा। वह करीब साढ़े छह महीने तक इस पद पर रहेंगे। लेना 11 नवंबर 2024 को संजीव खन्ना मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे।

बता दें की, जस्टिस संजीव खन्ना के पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना भी दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उनकी मां सरोज खन्ना एलएसआर डीयू में लेक्चरर थीं। खन्ना ने 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

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इसके बाद डीयू में कानून की पढ़ाई की. कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद, वह 1983 में एक वकील के रूप में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में शामिल हुए। शुरुआत में दिल्ली के तीसहजारी परिसर में प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में विभिन्न न्यायिक न्यायाधिकरणों में वकालत कि। 2005 में, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद 2006 में उन्हें स्थाई जज बनाया गया। 2006 से 2019 तक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के बाद, उन्हें 18 जनवरी, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।

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