प्रशांत कारुलकर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न अंग है और वहां के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 24 सीटें आरक्षित रखी गई हैं। बुधवार को लोकसभा में ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश करते समय उन्होंने कहा, “जम्मू में पहले 37 सीटें थीं, लेकिन अब 43 हो गई हैं, जबकि कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं, अब 47 सीटें हैं। और पीओके के लिए 24 सीटें आरक्षित हैं, क्योंकि वह हमारा है।” उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के मामले में भारत ने लंबी छलांग लगाई है और अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में शांति कायम है। उन्होंने कहा, “पिछले 3 सालों में सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार आया है। आतंकवादी घटनाओं की संख्या में 88 फीसदी की कमी आई है और आतंकवादियों की मृत्यु दर में 55 फीसदी की वृद्धि हुई है।”
गृहमंत्री शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम भी सफलतापूर्वक पूरा हो गया है और अब हर विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या लगभग समान है। उन्होंने कहा, “यह परिसीमन 1971 के बाद पहली बार हुआ है और इससे जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और पिछले कुछ वर्षों में राज्य में बड़े पैमाने पर विकास कार्य हुए हैं। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर में सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम हुआ है।”
शाह के इस बयान का विपक्ष ने विरोध किया और कांग्रेस के कई सांसदों ने सदन से बहिर्गमन किया। कांग्रेस का कहना है कि पीओके पर भारत का दावा सिर्फ कागजी है और वहां के लोगों की राय का सम्मान किया जाना चाहिए। हालांकि, सरकार का कहना है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है और वहां के लोगों को भारत में शामिल होने का पूरा अधिकार है। सरकार का यह भी कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से राज्य में शांति और विकास का रास्ता साफ हुआ है।
भारत आंतरिक सुरक्षा के मामले में एक लंबा सफर तय कर चुका है। अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से कश्मीर में शांति कायम है और कानून व्यवस्था पहले से कहीं बेहतर है। आतंकवादी घटनाओं में भारी कमी आई है और स्थानीय लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है।
कश्मीर में शांति स्थापना
अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले कश्मीर अलगाववाद और आतंकवाद का गढ़ माना जाता था। हर साल हजारों लोग आतंकवादी हिंसा में मारे जाते थे और लाखों लोग विस्थापित हो जाते थे। हालांकि, अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से कश्मीर में शांति बहाल करने में काफी हद तक सफलता मिली है। आतंकवादी घटनाओं में भारी कमी आई है और स्थानीय लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है।
आतंकवाद का उन्मूलन
भारतीय सुरक्षा बलों ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। सुरक्षाबलों ने कई बड़े आतंकवादी संगठनों को ध्वस्त किया है और कई शीर्ष आतंकवादियों को मार गिराया है। इसके अलावा, सरकार ने आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने वाले लोगों और संगठनों पर भी कार्रवाई की है।
कानून व्यवस्था का सुधार
कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। पुलिस बलों को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया गया है। साथ ही, पुलिस और सुरक्षाबलों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए भी प्रयास किए गए हैं।
स्थानीय लोगों का सहयोग
कश्मीर में शांति बहाल करने में स्थानीय लोगों का भी अहम योगदान रहा है। स्थानीय लोग अब आतंकवादियों का समर्थन नहीं करते हैं और सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
अर्थव्यवस्था का विकास
आंतरिक सुरक्षा में सुधार के साथ ही कश्मीर की अर्थव्यवस्था में भी तेजी से विकास हो रहा है। पर्यटन उद्योग में तेजी देखी गई है और निवेश भी बढ़ रहा है।
भारत का आतंकवाद से लड़ने और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने का मॉडल कई देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। कई देश भारत से सीखकर अपने देश में आंतरिक सुरक्षा को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
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