विधायक राजेंद्र शिंगणे, जो जिला राकांपा के एकनिष्ठ नेतृत्व हैं, ने ‘यू-टर्न’ लेने और अजित दादा के साथ जाने का फैसला किया। असली एनसीपी ने आखिरी वक्त तक उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे|
लगातार दो दिनों तक वरिष्ठ नेता शरद पवार से मुलाकात करने वाले पूर्व मंत्री शिंगणे ने संकटग्रस्त जिला बैंक के मुद्दे पर अजित दादा के साथ जाने का फैसला किया। आज, 7 जुलाई की सुबह वह एक दृढ़ निर्णय पर पहुंचे। इस समय वह बुलढाणा स्थित अपने आवास पर थे| बहरहाल, सिंदखेड राजा विधानसभा क्षेत्र समेत जिले से आये कार्यकर्ताओं के मन की बात जान रहे थे| इसी बीच उनके फैसले की जानकारी मीडिया और अन्य माध्यमों से मुंबई तक पहुंच गई|
उस समय अपने आवास ‘सिल्वर ओक’ पर मौजूद शरद पवार ने वहां मौजूद जिले के कुछ कार्यकर्ताओं से चर्चा की| इस फैसले से नाराज शरद पवार ने कहा कि ‘उन्हें मनाने की कोशिश करें’ या अब सभी मिलकर जिले में पार्टी संभालें।’ हालांकि, विधायक शिंगाने का सेल फोन ‘स्विच ऑफ’ था। इस वक्त वहां मौजूद कुछ कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी|
गौरतलब है कि एनसीपी में अजित पवार की बगावत पर संजय राउत का एक बयान आया था|संजय राउत शायद यह भूल गए कि अजित पवार के पास एक प्रफुल्ल पटेल हैं,जो कभी शरद पवार की परछाईं कहे जाते थे|एनसीपी कैसे काम करती है, उससे ज्यादा कोई नहीं जानता है|एक और नाम है छगन भुजबल|छगन भुजबल एनसीपी का ओबीसी चेहरा हैं|मुंबई के एमईटी कॉलेज में हुई अजित पवार गुट की बैठक में अजित ने अपने चाचा शरद पवार पर पूरी भड़ास निकाली|
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