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Wednesday, December 10, 2025
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उत्तर प्रदेश में राजकोषीय बचत से भी अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण!

यह मॉडल उचित दर दुकानें न केवल सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतार रही हैं| राशन कार्डधारकों को बेहतर सुविधा, पारदर्शी वितरण और सम्मानजनक वातावरण भी दे रही हैं।

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उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पारदर्शी, सशक्त और जनोन्मुखी बनाने के लिए योगी सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘अन्नपूर्णा भवन योजना’ अब गांव-गांव और शहर-शहर में रंग ला रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सभाओं और शहरी इलाकों में नगर निकायों की मदद से बनाए जा रहे यह मॉडल उचित दर दुकानें न केवल सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतार रही हैं, बल्कि राशन कार्डधारकों को बेहतर सुविधा, पारदर्शी वितरण और सम्मानजनक वातावरण भी दे रही हैं।

योगी सरकार द्वारा मॉडल उचित दर दुकानों/अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण में गति लाने के लिए राजकोषीय बचत से भी अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण का निर्णय लिया गया है। अब तक 3,534 अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और लगभग 2,000 भवनों का कार्य निर्माणाधीन है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में खाद्यान्न वितरण प्रणाली अब पुराने ढर्रे से निकलकर तकनीकी और भौतिक दृष्टि से सुदृढ़ हो रही है। यह योजना न केवल गरीबों को सम्मानजनक सेवा दे रही है, बल्कि योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए स्थानीय निकायों की भूमिका को भी सशक्त कर रही है। ‘अन्नपूर्णा भवन’ आज एक प्रशासनिक नवाचार नहीं, बल्कि जनहित में उठाया गया ठोस कदम है।

प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान प्रत्येक जनपद में मॉडल के रूप में 75 अन्नपूर्णा भवन बनाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसी क्रम में प्रदेश में अब तक 3,534 अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और लगभग 2,000 भवनों का कार्य निर्माणाधीन है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करने एवं राशन कार्ड धारकों को खाद्यान्न सुचारू रूप से उपलब्ध कराने के लिए मॉडल उचित दर दुकानों/अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण में गति लाने के लिए राजकोषीय बचत से भी अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण का निर्णय लिया गया है।

अब मनरेगा के अतिरिक्त राज्य वित्त आयोग, सांसद निधि, विधायक निधि, पूर्वांचल विकास निधि, बुंदेलखंड विकास निधि अथवा अन्य किसी राज्य या केंद्र सरकार की योजना, जिसमें इनका निर्माण अनुमन्य है, अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण कराया जा सकेगा। जहां इन योजनाओं के माध्यम से धनराशि की उपलब्धता नहीं हो सकेगी, वहां खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा बचत से धनराशि की व्यवस्था की जाएगी।

इस प्रकार प्रति जनपद 75-100 अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण प्रति वर्ष कराया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त इन भवनों के अनुरक्षण इत्यादि की व्यवस्था का भी प्राविधान किया गया है। योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर भी लगा दी गई है।

अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण में कई निधियों से धनराशि का प्रावधान किया जाना है, ऐसी स्थिति में भवनों के लिए भूमि का चयन, भवनों का संचालन, किराया इत्यादि के लिए एकसमान मार्गदर्शी सिद्धान्त पर कार्य किया जा रहा है।

अन्नपूर्णा भवनों की डिजाइन एवं अनुमानित लागत व निर्माण अलग-अलग अथवा क्लस्टर में कराया जा सकता है। एकल अन्नपूर्णा भवन का कुल क्षेत्रफल लगभग 484 वर्गफीट होगा, जिसमें एक बड़ा कक्ष, जिसके अंतर्गत दुकान का संचालन तथा दूसरे कक्ष में सीएससी का संचालन आदि कार्य के लिए स्थान की व्यवस्था होगी।

इसके साथ ही लाभार्थियों के लिए एक प्रतीक्षा हॉल होगा। एक क्लस्टर में 2-5 दुकानों का निर्माण किया जा सकता है। क्लस्टर नगरीय क्षेत्रों में जहां एकल दुकानों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं, वहां शहरी क्षेत्रों में क्लस्टर अन्नपूर्णा भवन बनाए जा रहे हैं।

एक क्लस्टर में 2 से 5 उचित दर दुकानों को एक स्थान पर समाहित किया जा सकता है। इससे न केवल भूमि का समुचित उपयोग होता है, बल्कि भारी वाहनों से खाद्यान्न की आपूर्ति और वितरण व्यवस्था भी सुलभ होती है।

भवन निर्माण की जिम्मेदारी स्थानीय कार्यदायी संस्थाओं को दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिकता ग्राम पंचायतों को और शहरी क्षेत्रों में विकास प्राधिकरण को दी गई है। निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार का सेन्टेज चार्ज अनुमन्य नहीं है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त हो जाती है। जिलाधिकारी स्तर पर नामित अधिकारी इन कार्यों की निगरानी करते हैं, जिससे निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।

अन्नपूर्णा भवन के लिए भूमि चयन में सरकारी, पंचायत, सहकारी संस्थाओं या दान में प्राप्त भूमि को प्राथमिकता दी जाती है। चयन की प्रक्रिया में उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाती है, जिसमें तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी, सहायक अभियंता और क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी शामिल होते हैं। चयन में यह सुनिश्चित किया जाता है कि स्थान पहुंच योग्य, अविवादित और आमजन के लिए सुविधाजनक हो।

योगी सरकार की प्राथमिकता है कि वहां पहले भवन बनाए जाएं, जहां वर्तमान उचित दर दुकानें संकरी गलियों में हों, जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हों या आपदा से प्रभावित हों, जिससे खाद्यान्न के खराब होने या वितरण में बाधा की संभावना हो। जनपदवार वरीयता सूची बनाकर उसी के अनुसार कार्य कराया जा रहा है।

 
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