विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गुजरात और हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक घटनाओं ने रफ्तार पकड़ ली है। यहां अभियान अपने चरम पर पहुंच गया है और उम्मीदवारों के साथ-साथ पार्टियों द्वारा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के वादे किए जा रहे हैं| इस बीच, जब हिमाचल प्रदेश में मतदान में महज एक सप्ताह का समय बचा है, तो यहां की भाजपा ने बड़े-बड़े वादे किए हैं। भाजपा ने यहां के मतदाताओं को भरोसा दिलाया है कि अगर हम सत्ता में आए तो हम ‘समान नागरिक संहिता’ यानी समान नागरिक कानून लागू करेंगे|
भाजपा ने हिमाचल प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाया है कि अगर हम सत्ता में वापस आए तो समान नागरिक संहिता को लागू करेंगे। भाजपा शासित अधिकांश राज्य सरकार ने इस कानून का समर्थन किया है। गुजरात राज्य में इस कानून को लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। कुछ दिन पहले गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने शनिवार को यह जानकारी दी। इस वादे के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा को घेर लिया है| विपक्षी दल ने आलोचना की है कि भाजपा द्वारा हिंदुओं का वोट हासिल करने का ऐसा आश्वासन दिया गया है|
भारत में आज, प्रत्येक धर्म में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने जैसे मामलों के लिए अलग-अलग कानून हैं। इसलिए सभी धर्मों के लिए एक ही कानून बनाने की मांग की जा रही है। यदि देश में समान नागरिक संहिता लागू हो जाती है, तो विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार, संपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में देश में एक समान कानून होगा।
संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य पूरे देश में अपने नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा। अनुच्छेद 44 राज्यों के लिए दिशानिर्देशों में से एक है। संविधान के अनुच्छेद 37 के अनुसार, राज्य के लिए दिशा-निर्देश न्यायोचित नहीं हैं, अर्थात उन्हें अदालतों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है।
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