देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक इस संबंध में ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि, नरसिम्हा राव ने विभिन्न पदों पर रहते हुए शानदार तरीके से देश की सेवा की है। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई सालों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किये गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। तीनों शख्सियतों को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है।
पीवी नरसिम्हा राव प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। pic.twitter.com/0Gav8FTtEi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 9, 2024
पीएम मोदी ने पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव के नाम की घोषणा करते हुए कहा कि “यह बताते हुए हमें बहुत ख़ुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव गरु को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में, नरसिम्हा राव ने विभिन्न पदों पर रहते हुए शानदार तरीके से देश की सेवा की है। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई सालों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किये गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था।”
पीएम मोदी ने आगे लिखा” प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव का का कार्यकाल महत्वपूर्ण कदम उठाने के रूप में जाना जाता है ,जिन्होंने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला। इसके आलावा,भारत की विदेश नीति , भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है। जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण बदलाओं के जरिये से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृति और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया। “.
पीवी नरसिम्हा राव का जन्म
पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 में आंध्र प्रदेश के करीमनगर में हुआ था। उनका पूरा नाम पामुलापति वेंकट नरसिम्हा राव है। वे 1991 से लेकर 1996 तक देश प्रधानमंत्री थे। वे देश के नौवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिए थे। जो भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुई थी। उनके काल में 6 दिसंबर 1992 में अयोध्या का बाबरी मस्जिद का विध्वंस शामिल है। कहा जाता है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरा नरसिम्हा राव पूजा पर बैठे थे। नरसिम्हा राव कई भाषाएं जानते थे। उन्हें तेलुगु, हिंदी, अंग्रेजी उर्दू और संस्कृत पर अच्छी पकड़ थी।
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