बिहार: औरंगजेब पर सियासत गरमाई, जदयू ने कहा, धर्म का सम्मान, लेकिन औरंगजेब का नहीं!

जदयू के विधायक डॉ. संजीव ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अगर औरंगजेब आज जीवित होते, तो सरकार उन्हें फांसी की सजा देती।

बिहार: औरंगजेब पर सियासत गरमाई, जदयू ने कहा, धर्म का सम्मान, लेकिन औरंगजेब का नहीं!

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महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में भी औरंगजेब को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। जदयू के विधायक डॉ. संजीव ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अगर औरंगजेब आज जीवित होते, तो सरकार उन्हें फांसी की सजा देती। पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जो भी औरंगजेब की तारीफ कर रहा है, वह देशद्रोही है, चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा हो।

उन्होंने कहा, “हम गर्व से कहते हैं कि हम सनातनी हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन औरंगजेब का नहीं कर सकते। उसने मंदिरों को तोड़ा, लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया और सिखों के धर्मगुरु के बेटों की हत्या करवाई। ऐसे शासक की प्रशंसा करना बेहद दुखद है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उन्हें पाकिस्तान या बांग्लादेश भेज देना चाहिए।”

वहीं, राजद के विधायक अख्तरुल ईमान शाहीन ने कहा कि इतिहासकारों में औरंगजेब को लेकर अलग-अलग मत हैं—कुछ उन्हें ईमानदार शासक मानते हैं, तो कुछ क्रूर। उन्होंने कहा, “हम इतिहास के छात्र नहीं हैं कि इस पर टिप्पणी करें। हम वर्तमान पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि भाजपा हमेशा विवादित मुद्दों को उठाकर मूल समस्याओं से ध्यान भटकाती है।”

राजद विधायक वीरेंद्र ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास कोई दूसरा मुद्दा नहीं बचा है। उन्होंने कहा, “जब देश की आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी, तब हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी ने कुर्बानी दी थी। भाजपा को धर्म विशेष के खिलाफ बोलने की आदत पड़ गई है, लेकिन ऐसे लोग असली भारतीय नहीं हो सकते।”

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आजमी को महाराष्ट्र विधानसभा के मौजूदा सत्र से निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि उन्होंने औरंगजेब को महान शासक बताया था। जदयू एमएलसी खालिद अनवर ने अबू आजमी के निलंबन को अनुचित करार दिया।

खालिद अनवर ने कहा कि औरंगजेब को लेकर कई इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। उन्होंने कहा, “मेरी नजर में औरंगजेब एक अच्छा शासक था, जिसने अपने तरीके से शासन किया। अगर किसी को उसे अच्छा राजा कहने पर निलंबित कर दिया जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।”

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