भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार (30 जून) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्षी गठबंधन और खासकर राजद नेता तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला। सुंधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव द्वारा संसद से पारित वक्फ कानून को “कूड़ेदान में फेंकने” की बात कहकर विपक्ष ने फिर से संविधान और लोकतंत्र का अपमान किया है।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा, “हमने हाल ही में भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्याय, आपातकाल के 50 वर्ष पूरे किए हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उसी गांधी मैदान में, जहां संविधान की रक्षा के लिए लाखों लोग इकट्ठा हुए थे, वहीं इंडी गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव कहते हैं कि संसद के कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे।” उन्होंने इसे न सिर्फ संसद बल्कि न्यायपालिका का भी अपमान बताया और कहा कि यह विपक्ष की वही पुरानी सोच है जो संविधान को सम्मान नहीं देती।
वक्फ कानून पर टिप्पणी करते हुए त्रिवेदी ने कहा, “कुरान में ‘वक्फ’ जैसा कोई शब्द नहीं है। यह शब्द मुल्लाओं और मौलवियों द्वारा गढ़ा गया है। इस्लाम देना सिखाता है, जमा करना नहीं। और आज ये लोग वक्फ के नाम पर संविधान का मजाक उड़ा रहे हैं।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संविधान को धर्मनिरपेक्ष दस्तावेज से बदलकर मौलवियों की स्क्रिप्ट में बदला जा रहा है।
भाजपा सांसद ने दावा किया कि इंडी गठबंधन का इरादा सत्ता में आने पर “शरिया कानून लागू करने” का है। उन्होंने कहा, “यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। 1985 में जब एक सरकार ने 400 से ज्यादा सीटें जीती थीं, तो शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द कर शरिया को संविधान से ऊपर रखा गया।”
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण को खत्म करना चाहता है। “जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आरक्षण खत्म किया गया, तेलंगाना और कर्नाटक में मुस्लिमों को ओबीसी में शामिल किया गया, यह बाबा साहेब के संविधान के खिलाफ है।” प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में त्रिवेदी ने कहा, “हम विपक्ष के सपनों को साकार नहीं होने देंगे। देश बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान से ही चलेगा, न कि शरिया या तुष्टिकरण की नीतियों से।”
भाजपा प्रवक्ता का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में वक्फ संपत्तियों, अल्पसंख्यक आरक्षण और धर्म आधारित नीतियों को लेकर बहस तेज़ हो रही है।
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