गांधी हत्या पर पुस्तक: जितेन्द्र आव्हाड ने व्यक्त की तीखी प्रतिक्रिया !

लोग मूर्ख नहीं समझदार हैं| नाथूराम गोडसे ने महाबलेश्वर के कांग्रेस कैंप में महात्मा गांधी की हत्या करने की कोशिश की थी| कांबले गुरुजी तब उपस्थित थे| महात्मा गांधी की पांच बार हत्या की कोशिश की गई। पंडित नेहरू ने क्या कहा?” ऐसा ही एक सवाल जितेंद्र आव्हाड ने भी पूछा है|उन्होंने एक्स पर भी पोस्ट किया है|

गांधी हत्या पर पुस्तक: जितेन्द्र आव्हाड ने व्यक्त की तीखी प्रतिक्रिया !

Book published on Gandhi's assassination: Jitendra Awhad expressed sharp reaction!

महात्मा गांधी की मौत नाथूराम गोडसे की गोली से नहीं हुई थी| स्वतंत्रता सेनानी सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने दावा किया है कि उन पर चलाई गई गोलियां अलग दिशा से आईं। जिसके बाद जितेंद्र आव्हाड ने रंजीत सावरकर के मानसिक संतुलन की आलोचना की| इसके अलावा, जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारी थी, तब काकासाहेब गाडगिल प्रत्यक्षदर्शी थे।

जितेंद्र आव्हाड ने क्या कहा?: क्या रणजीत सावरकर इतिहास विशेषज्ञ हैं? पंडित नेहरू और महात्मा गांधी को बदनाम करने की साजिश कई सालों से चल रही है| अब यह बहुत विकसित हो चुका है। लोग मूर्ख नहीं समझदार हैं| नाथूराम गोडसे ने महाबलेश्वर के कांग्रेस कैंप में महात्मा गांधी की हत्या करने की कोशिश की थी| कांबले गुरुजी तब उपस्थित थे| वे नाथूराम पर हमला कर देते और उसे मार डालते, लेकिन महात्मा गांधी ने हस्तक्षेप किया और कांबले गुरुजी को एक तरफ ले गए और उनसे कहा कि उन्हें किसी की जान लेने का कोई अधिकार नहीं है।

महात्मा गांधी की पांच बार हत्या की कोशिश की गई। पंडित नेहरू ने क्या कहा?” ऐसा ही एक सवाल जितेंद्र आव्हाड ने भी पूछा है|उन्होंने एक्स पर भी पोस्ट किया है|

क्या है जितेंद्र आव्हाड की पोस्ट?: महात्मा गांधी की हत्या पर संदेह जताने वाली किताब दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में प्रकाशित हुई| इस किताब के जरिए यह दिखाने की कोशिश की गई है कि ‘महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने नहीं की थी|’ इसके बाद अगर इस किताब में लिखी बातों पर गौर करें तो साफ है कि किताब लिखने वाले रंजीत सावरकर अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं, जब हत्या हुई तो चश्मदीद गवाह थे; हत्या की ठीक से जांच हुई और ठीक से सुनवाई हुई|

इसके बाद नाथूराम को मौत की सजा सुनाई गई और फांसी पर लटका दिया गया। नाथूराम महाराष्ट्र पर एक कलंक और काला धब्बा है। कुछ चर्च अब उस कलंक और राजनीतिक लाभ का फायदा उठाने के लिए आगे आ रहे हैं। दुर्भाग्य से, यह पुस्तक एक मराठी व्यक्ति द्वारा लिखी गई है। मैं इसकी निंदा करता हूं| हम तो यही आशा करते हैं कि महाराष्ट्र अब जागे और इस नाथूरामी प्रवृत्ति को कुचल दे।

यह बात जितेंद्र आव्हाड ने भी कही कि रंजीत सावरकर थोड़ा थोड़ा करके कुछ नया रचने और यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह राज्यसभा जाने के लिए सही उम्मीदवार हैं।रंजीत सावरकर वैश्विक बाजार में जो कर रहे हैं उसे मूर्खता ही कहा जाएगा| मुझे आश्चर्य है कि महाराष्ट्र सदन को ऐसी पुस्तक प्रकाशित करने की सहमति कैसे मिल जाती है? रंजीत सावरकर से पूछें कि उन्हें क्या कहना है।

दुनिया के इतिहास में कहीं कुछ नहीं आया| नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी|सारा इतिहास लिखा गया है| ऐसे गवाह थे जिन्होंने गोलियाँ चलाईं। काकासाहेब गाडगिल नाथूराम को जानते थे।यह भी लिखा जाएगा कि काका साहब गाडगिल का मानसिक संतुलन खराब हो गया था।

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