बिहार की राजनीति में इन दिनों खूब हंगामा चल रहा है। लालू परिवार में दोतरफा विवाद खड़ा हो गया है। पहले से ही पार्टी और परिवार में खुद को उपेक्षित महसूस करते आ रहे तेज प्रताप यादव ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के व्यवहार से आहत होकर पार्टी से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। जगदानंद को पार्टी से बाहर निकालने की मांग को लेकर देर रात अपने आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। राबड़ी देवी और लालू प्रसाद के पहुंचने पर ही तेज प्रताप माने और धरना खत्म किया। पहली बार तेज प्रताप ने अपने भाई तेजस्वी पर हमला बोला है। कहा कि यही रवैया रहा तो अर्जुन गद्दी पर नहीं बैठ पाएंगे। उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे।
धरने पर बैठते समय तेज प्रताप ने कहा कि अंधड़ आए या शीत गिरे। पिता के आने तक धरना जारी रहेगा। उनके निशाने पर जगदानंद सिंह के साथ तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव हैं। दिल्ली से चलने के पहले लालू ने दोनों भाइयों में किसी तरह के विवाद से इनकार किया था और कहा था कि दोनों एक हैं। पटना हवाई अड्डे पर लालू की अगवानी के लिए गए तेज प्रताप ने जगदानंद सिंह और विधान परिषद सदस्य सुनील कुमार सिंह पर आरोप लगाया कि उनके लोगों ने उन्हें धक्का दिया। राबड़ी देवी के आवास के बाहर भी उनके लोगों ने उन्हें ठेला। लिहाजा, वह बाहर से ही लौट गए और मीडिया में तल्ख बयान भी दिया। कहा कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष ने मेरी बेइज्जती की। अपने गुंडों से धक्का दिलवाया। तेज प्रताप ने दोनों को आरएसएस का एजेंट बताया। कहा कि जबतक उन्हें राजद से बाहर नहीं किया जाएगा, तबतक मेरा राजद से कोई मतलब नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि मेरे पिता गाड़ी के अंदर थे। उन्होंने नहीं देखा है। वह कार्रवाई करें तभी मै परिवार और पार्टी में लौटूंगा। देर रात अपने समर्थकों के साथ धरना पर बैठे तेज प्रताप ने अपने भाई तेजस्वी के खिलाफ खुलकर बोले। चेताया भी कि रवैया सुधारें, नहीं तो संघर्ष होगा। वह बच्चा नहीं हैं। अब बड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मैं संघर्ष की उपज हूं। लगातार बोलता रहा हूं कि मुझे अपने अर्जुन को मुख्यमंत्री बनाना है, किंतु अब दुख हो रहा है। तेजस्वी और संजय पर आरोप लगाया कि पार्टी का अपहरण कर लिया है। कहा कि संजय को साथ लेकर चलिएगा तो पार्टी का भला नहीं होगा।