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Monday, December 29, 2025
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ग्रीन मोबिलिटी और ईवी इकोसिस्टम विकसित करने को प्रतिबद्ध है केंद्र सरकार: हर्ष मल्होत्रा!

इसके अलावा, ईवी रेट्रोफिटिंग रेगुलेशन और ईवी के लिए टोल टैक्स छूट जैसी नीतियों का उद्देश्य परिवहन को अधिक सुलभ और सस्टेनेबल बनाना है। 

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सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार ग्रीन मोबिलिटी और ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही बताया कि भारत क्लीन मोबिलिटी यात्रा के अपने मिशन पर सही राह पर है।

राष्ट्रीय राजधानी में ‘इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक’ के एक सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश में ग्रीन मोबिलिटी और ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास को गति प्रदान करने की प्रतिबद्ध है और पीएम ई-ड्राइव और फेम-II योजनाओं की शुरुआत इसका प्रमाण है।

इसके अलावा, ईवी रेट्रोफिटिंग रेगुलेशन और ईवी के लिए टोल टैक्स छूट जैसी नीतियों का उद्देश्य परिवहन को अधिक सुलभ और सस्टेनेबल बनाना है।

मल्होत्रा ​​ने कहा कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में बदलाव केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने, आर्थिक मजबूती और ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है।

उन्होंने सड़क, रेल और भंडारण को एकीकृत करते हुए सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा विकसित किए जा रहे मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों का जिक्र किया, जिन्हें अब हरित ऊर्जा प्रावधानों और इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुकूल सुविधाओं से लैस किया जा रहा है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी, उत्सर्जन कम होगा और एक स्वच्छ एवं कनेक्टेड परिवहन केंद्र के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

मल्होत्रा ​​ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सरकार 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पन्न करने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत क्लीन मोबिलिटी सॉल्यूशंस का वैश्विक केंद्र बनने की दहलीज पर खड़ा है।

उन्होंने पक्षकारों से एक ऐसा परिवहन भविष्य विकसित करने का आग्रह किया जो न केवल इलेक्ट्रिक हो, बल्कि सुरक्षित, समावेशी और पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी भी हो।

मल्होत्रा ​​ने कहा, “हमें यह समझना होगा कि भारत की जलवायु और मोबिलिटी आवश्यकताओं के अनुरूप बैटरी स्टोरेज टेक्नोलॉजी हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होंगी।”

उन्होंने उद्योग जगत के लीडर्स से अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने, स्थानीय स्तर पर निर्माण करने और बैटरी रीसाइक्लिंग एवं पुन: उपयोग जैसे सॉल्यूशंस को अपनाने का आग्रह किया।

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