चंद्रकांत पाटिल और राज ठाकरे की मुलाकात,पर क्या-क्या हुई बात,जानें इसका राज?

चंद्रकांत पाटिल और राज ठाकरे की मुलाकात,पर क्या-क्या हुई बात,जानें इसका राज?

मुंबई। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने आज मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच करीब पौना घंटे तक चर्चा हुई। पाटिल ने स्वीकार किया है कि इस दौरान हमारी राजनीतिक चर्चा हुई। आइए… जानते हैं उनमें क्या-क्या हुई बात और क्या हैं इसके राज?

चाय पर बुलाया था घर

राज ठाकरे से मुलाकात के बाद चंद्रकांत पाटिल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया, ‘ राज से मेरी नाशिक प्रवास के दौरान अचानक मुलाक़ात हुई थी, उस समय उन्होंने मुझे चाय पीने अपने घर आने का न्यौता दिया था। इसलिए मैं आज उनसे मिला। उन्हें पार्टी कार्यालय क्यों नहीं बुलाया लिया, यह भी सवाल उठ सकता है, लेकिन मैं अहंकारी नहीं हूं, सो उन्होंने अपने घर बुलाया और मैं उनका निमंत्रण स्वीकार कर चला गया। बैठक में राजनीतिक चर्चा भी शामिल थी। हालांकि बैठक में भाजपा-मनसे गठबंधन का कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया। मुलाकात का मकसद एक-दूसरे को समझना और अपने-अपने विचार व्यक्त करना था।

राजनीतिक चर्चा तो हुई, पर गठबंधन संबंधी नहीं

पाटिल ने बताया, ‘ मैं पिछले साल भर से कहता रहा हूं कि जब तक वे परप्रांतीयों के संबंध में अपनी भूमिका नहीं बदलेंगे, तब तक उनसे कोई चर्चा नहीं होगी। लिहाजा, उन्होंने मुझे अपने भाषण की एक क्लिप भेजी, जिसे मैंने सुनाऔर इसी के बाद आज हमारी मुलाक़ात व चर्चा हुई। इस सद्भावना भेंट में राजनीतिक चर्चा तो हुई, पर गठबंधन संबंधी कोई प्रस्ताव नहीं था।

यूपी के लोगों को मिलनी चाहिए यूपी में ही 80% नौकरियां

उन्होंने कहा, ‘ हरेक बात का एक अपना समय हुआ करता है। नाशिक वे भी जाते हैं और मैं भी। हम अचानक वहां मिले। साल भर से मैं बोल रहा था,वे अपनी भूमिका बदलें। नाशिकआमने-सामने मुलाकात हुई और आज चर्चा भी।. राज साहब बोले, ‘ यूपी के लोगों को यूपी में 80% नौकरियां मिलनी चाहिए, यह बात मैं यूपी जाकर भी कहूंगा। साथ ही,मैं यह भी कहूंगा कि महाराष्ट्र के मराठी युवाओं को भी यहीं रोजगार मिलना चाहिए, तो इसमें आपत्तिजनक क्या है ?

राज भीं मेरे घर आएं चाय पर

चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि जब भी महाराष्ट्र के दो हिंदू व्यक्ति आपस में मिलते हैं, तो विदा होते वक्त ‘या’ (आइए) कहने की सभ्य परंपरा है, उनसे पुनः भेट का कोई राजनीतिक संदर्भ नहीं है। विशेषकर,जब भाभी आईं,तो वे बोली – ‘अगली बार पत्नी को भी लेकर आइए।’ इस पर मैंने उन्हें कहा, ‘ महज 50 कदम के फासले पर पत्नी का ऑफिस है,वे भी आ जाएंगी’ यह बताते हुए उन्होंने जोड़ा, ‘ यदि राज ठाकरे मेरे घर चाय पर आएं, तो मुझे और भी खुशी होगी।

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