चीन और अमेरिका के बीच साइबर सुरक्षा को लेकर तनातनी एक बार फिर बढ़ गई है। 24 अक्टूबर को आयोजित नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका पर चीन के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर साइबर हमले करने और भविष्य में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की तैयारी करने का आरोप लगाया। प्रवक्ता ने कहा कि बीजिंग इस तरह की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा करता है और इसे चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा खतरा मानता है।
चीनी प्रवक्ता के अनुसार, देश की साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें खुलासा किया गया कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियां “वोल्ट टाइफून” नामक अभियान के ज़रिए चीन के संवेदनशील नेटवर्क सिस्टम में घुसपैठ कर रही थीं। चीन का दावा है कि यह तथाकथित अभियान दरअसल एक अंतरराष्ट्रीय रैंसमवेयर नेटवर्क है, जिसे अमेरिकी एजेंसियों के संरक्षण में चलाया जा रहा था।
चीन ने कहा कि हाल ही में उजागर हुए कई मामलों ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि “वोल्ट टाइफून” जैसे अभियान असल में अमेरिका के वैश्विक साइबर हमलों का हिस्सा हैं। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा साइबर हमले अमेरिका से ही होते हैं।
प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि अमेरिकी सरकार की ऐसी गतिविधियाँ न केवल गलतफहमी और टकराव को जन्म दे सकती हैं, बल्कि यह वैश्विक साइबर स्थिरता के लिए भी खतरा हैं। उन्होंने कहा कि चीन, अमेरिका से तुरंत अपने साइबर हमले बंद करने की मांग करता है।
अंत में प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि चीन अपनी साइबर संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा, और किसी भी प्रकार की डिजिटल घुसपैठ या तोड़फोड़ को बर्दाश्त नहीं करेगा।
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