मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह को यूपी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर चुना गया हैं। प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में मंत्री भूपेंद्र सिंह को सबसे आगे माना जा रहा था। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जाट चेहरा लाकर भाजपा पश्चिमी यूपी में पार्टी का आधार और मजबूत कर सकती है। पार्टी पश्चिमी यूपी के नेता को लोकसभा चुनाव 2024 में अध्यक्ष की जिम्मेदारी देना चाहती है। चौधरी सिंह जाट वोट बैंक को साधने के लिए सबसे मजबूत नेता माने जा रहे हैं। ऐसे में पश्चिमी यूपी में सपा के गठबंधन का असर कम करने के लिए चौधरी सिंह को चुना गया है। ऐसे में पश्चिमी यूपी में जाटों के प्रभाव वाली डेढ़ दर्जन लोकसभा सीटों पर भाजपा को फायदा मिल सकता है। चौधरी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी हैं। बता दें कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में 80 में से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सत्ता में वापसी की थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के सामने भाजपा को पश्चिमी यूपी में लोकसभा की सभी छह सीटें (मुरादाबाद, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, संभल और रामपुर) गंवानी पड़ी थीं।
केंद्र सरकार के विवादास्पद तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में एक साल तक चले आंदोलन में जाट समुदाय ने अग्रणी भूमिका निभायी थी। चौधरी सिंह यह स्वतंत्र देव सिंह का स्थान लेंगे जो इस समय योगी सरकार में मंत्री हैं। भाजपा चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष का पद दे कर क्षेत्रीय संतुलन भी साधना चाहती है। चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। वर्ष 2007 से 2012 तक भूपेंद्र चौधर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय मंत्री रहे । वहीं, वर्ष 2011-2018 तक लगातार तीन बार पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। 1966 में किसानों के परिवार में जन्मे चौधरी 1991 में भाजपा में शामिल हुए। अपने एकमात्र चुनाव में उन्होंने 1999 में संभल से सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का सामना किया और वो चुनाव हार गए तथा दूसरे स्थान पर रहे। प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर चौधरी का चयन पार्टी और सरकार दोनों को स्वीकार था।
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